नई दिल्लीः दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में भले ही हिंदी और त्रिभाषी फार्मूले पर सियासत के चलते सरकार ने नई भाषा नीति के ड्राफ्ट को लागू करने से हाथ खींच लिया हो, पर भारतीय भाषाओं को प्रमुखता दिलाने का कोई भी अवसर वह छोड़ना नहीं चाहती है. कम से कम सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक नए कार्यालयीय परामर्श से तो यही साबित होता है. देशभर के चैनलों को भेजे गए एक पत्र में सूचना और प्रसारण मंत्रालय परोक्ष रूप से अंग्रेजी को अहमियत देने का संदर्भ लिया है और इशारे में ही सही इस बात का ध्यान दिलाया है कि चैनल हिंदी और भारतीय भाषाओं को लेकर आनी जिम्मेदारियों को समझेंगे, तो इससे उनका व्यावसायिक हित भी सधेगा. खास बात यह कि केंद्र सरकार ने बिना किसी शोरशराबा के यह पत्र देश के सभी हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के चैनलों को भेजा है.
हाल ही में हिंदी को वरीयता दिए जाने की आशंका मात्र से मचे हंगामे से सीख लेते हुए मंत्रालय ने आदेश की जगह परामर्श शब्द का इस्तेमाल किया है और एक सलाहकार की सी भूमिका अख्तियार की है. चैनलों को भेजे पत्र में कहा गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के ध्‍यान में यह बात आई है कि हिंदी और क्षेत्रीय भाषा के अनेक टेलीविजन चैनल हिंदी और क्षेत्रीय भाषा के टेलीविजन धारावाहिकों के कलाकार, आभार, शीर्षक केवल अंग्रेजी भाषा में दिखाते हैं. इस प्रक्रिया से ऐसे लोग टेलीविजन धारावाहिकों, कार्यक्रमों के कलाकारों के बारे में बहुमूल्‍य जानकारी प्राप्‍त करने से वंचित रह जाते हैं, जो केवल हिंदी और क्षेत्रीय भाषाएं जानते हैं. मंत्रालय ने सभी निजी उपग्रह टेलीविजन चैनलों को सलाह दी है कि वे देश के दर्शकों तक पहुंच बढ़ाने और उन्‍हें फायदा देने के लिए टेलीविजन धारावाहिकों के कलाकार, आभार, शीर्षकों के बारे में जानकारी हिंदी और उस क्षेत्र की भाषा में दिखाने के बारे में विचार करें.