बिहार विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने स्वीकार किया  कि राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में गिरावट आयी है। लोगों तक सरकार की कल्याणकारी योजनाएं पहुंच तो रही हैं। पर सही है कि जितना लाभ लोगों को मिलना चाहिये वह नहीं मिल रहा है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि स्थिति निराश होने की नहीं है।अगर बाकी बचे लोग ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से काम करें तो स्थिति निराशाजनक नहीं रहेगी। व्यक्ति और समाज निराश हो सकता है पर साहित्य नहीं। उन्होंने इस बात को भी दुहराया कि साहित्य राजनीति को दिशी दिखाने का काम करती है,और साहित्य को यह जवाबदेही स्वीकार करनी चाहिए। विधान भा अध्यक्ष ने पटना के आईआईबीएम सभागार में राज्य के वरीय आईएएस अधिकारी डॉ. सुभाष शर्मा के कहानी संग्रह खर्रा और अन्य कहानियां का लोकार्पण के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।

अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक डॉ. खगेन्द्र ठाकुर ने की।उन्होंने कहा कि सुभाष शर्मा की कहानियां समय के साथ संवाद करती हैं,और समकालीन समस्याओं पर सवाल खडे करती हैं। लेखक डा.सुभाष शर्मा ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में आयी गिरावट को रेखांकित करते हुए कहा कि आज शोषण के पैमाने भी बदल गये हैं। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में मैंने कोशिश की है कि साहित्य की दीया जलते रहे, बुझने के बाद भी मैं बार-बार जलाऊंगा। चाहे राजनीतिक हो या पठन-पाठन या चौथा स्तंभ का क्षेत्र हो। इससे अपने समाज में विकास हुआ है। उन्होंने गांव और शहर के स्थिति को दर्शाया । इस अवसर पर विनोद अनुपम ने कहा कि आज अखबार भी पढने के बजाय देखने की चीज हो गई है,किताबें भी डिजिटल फार्म में पढ़ी जाने लगी हैं,ऐसे में किसी किताब के प्रकाशन की खबर शुकून देती है। वहीं साहित्यकार जवाहर पांडेय ने किताब का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि इस पुस्तक में डॉ. सुभाष शर्मा ने सामाजिक विषयों को उठाया है। कहानियों के संग्रह में रचनात्मक प्रभाव और सच बहुत दूर-दूर तक गया है। साहित्य और साहित्यकारों के लिए समाज के बिना परिकल्पना नहीं की जा सकती। इस अवसर पर कथाकार अवधेश प्रीत,अनंत कुमार सिंह,कुलदीप नारायण के साथ बडी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।