नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने बाल साहित्यकार निरंकार देव सेवक की जन्मशतवार्षिकी के अवसर पर निरंकार देव सेवक और बाल साहित्यविषयक संगोष्ठी का आयोजन किया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बाल स्वरूप राही ने उद्घाटन वक्तव्य दिया. प्रकाश मनु का बीज वक्तव्य श्याम सुशील ने दिया. विशिष्ट अतिथि के रूप में निरंकार देव सेवक की पुत्रवधू संगीतकार पूनम सेवक विशेष रूप से उपस्थित थीं. स्वागत वक्तव्य साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने दिया. बाल स्वरूप राही ने कहा कि भारतीय बाल साहित्य को हेय दृष्टि से देखने की ज़रूरत नहीं है. भारतीय बाल साहित्य विश्व के किसी भी देश के श्रेष्ठ बाल साहित्य के समकक्ष है. स्वागत करते हुए साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि साहित्य अकादमी बाल साहित्य का महत्त्व भली-भाँति समझती है.
संगोष्ठी के प्रथम सत्र में निरंकार देव सेवक एवं बाल कविताविषय पर विचार-विमर्श हुआ. इस सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात कवि एवं बाल साहित्यकार दिविक रमेश ने की तथा कमलेश भट्ट कमल’, जगदीश व्योम एवं रजनीकांत शुक्ल ने अपने आलेख प्रस्तुत किए. संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में निरंकार देव सेवक की विचार दृष्टि एवं बाल साहित्यविषय पर विचार-विमर्श हुआ. इस सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात लेखक सुधीर विद्यार्थी ने की और शकुंतला कालरा, उषा यादव एवं श्याम सुशील ने अपने आलेख प्रस्तुत किए. कार्यक्रम में कई महत्त्वपूर्ण बाल साहित्यकार और लेखक उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादमी के संपादक अनुपम तिवारी ने किया.