नई दिल्लीः अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर साहित्य अकादमी ने आभासी मंच पर बहुभाषी कवि सम्मिलन का आयोजन किया. देश की अनेकता में एकता को प्रदर्शित करने वाले इस सम्मिलन में 14 भारतीय भाषाओं के कवियों ने अपनी अपनी मातृ भाषाओं में कविता पाठ किया. सभी कवियों की रचनाओं में बोली, भाषा की स्थानीयता के साथ जीवन और प्रकृति की बानगी भी देखने को मिली. सबसे पहले वरिष्ठ हिंदी कवि दिनेश कुमार शुक्ल ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. उन्होंने कुछ बड़ी और कुछ छोटी कविताएं पढ़ीं. उनकी एक कविता की पंक्ति थी, “इसी संसार-सागर में कई संसार डूबे हैं…
उर्दू शायर माहिर मंसूर ने अपनी गजलें सुनाईं. बहुभाषी कवि सम्मिलन में आगे जिन कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की, उनमें असमिया के अनीस उज़ ज़मां,अवधी के भारतेंदु मिश्र, बोडो से उथरीसर बसुमतारी, डोगरी से सत्यपॉल गढ़वालिया, अंग्रेजी की रानू उनियाल, कश्मीरी से शफ़ी शाकिर, मैथिली के सुभाष चंद्र झा, मणिपुरी से सोरोखईबम गम्भिनी वार्डेन, नेपाली से नमिता राई 'बल', पंजाबी से गुरसेवक लांबी, राजस्थानी के मंगत बादल और संस्कृत के राजकुमार मिश्र शामिल थे. कार्यक्रम का संचालन अकादमी के हिंदी संपादक अनुपम तिवारी ने किया.