नई दिल्लीः साहित्य, कला, संस्कृति को समर्पित नारायणी साहित्य अकादमी और युवा उत्कर्ष संस्था ने बहादुर महिलाओं के सम्मान के लिए भी कदम बढ़ाया है. इसी सिलसिले में बिहार की आरा निवासी संध्या सिंह का सम्मान किया गया. संध्या सिंह एक ऐसी साहित्यकार हैं, जिनकी कलम ही नहीं बल्कि बहादुरी के चर्चे भी खूब सूर्खियां पाते रहे हैं. अभी हाल ही में उनकी बहादुरी के कारनामों के चलते उन्हें झांसी की रानी के खिताब से नवाजा गया था. उन्होंने चलती ट्रेन में एक लड़की के साथ छेड़छाड़ पर खामोश भीड़ को धिक्कारते हुए अकेले ही मनचलों से भिड़ने और उन्हें पुलिस के हवाले करने का साहसिक कारनामा दिखाया था. संध्या सिंह अमेरिका में भी लड़कियों के हक़ में कई बार आवाज़ उठा चुकी हैं.
फिलहाल अमेरिका में रह रही संध्या सिंह कहानियां भी लिखती हैं और सोशल मीडिया पर काफी सक्रीय रहती हैं. उनकी अधिकांश रचनाओं में युवा पीढ़ी, खासकर लड़कियों के लिए स्वावलंबन का संदेश होता है. पिछले दिनों जब वह दिल्ली आईं, तो नारायणी साहित्य अकादमी और युवा उत्कर्ष संस्था ने उनका स्वागत व अभिनंदन किया और यूट्यूब लाइव पर उनकी कहानी को नई पीढ़ी और खासकर बेटियों के लिए उपयोगी बताते हुए आर्काइव किया गया. इस अवसर पर उनके साक्षात्कार के अलावा उन्हें अमेरिका में नारायणी साहित्य अकादमी का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई. इस कार्यक्रम के दौरान नारायणी साहित्य अकादमी और युवा उत्कर्ष संस्था की ओर से मनोज भावुक और रामकिशोर उपाध्याय ने संध्या सिंह का धन्यवाद ज्ञापित किया.