मुंबईः हाल ही में सलीम-जावेद वाले सलीम खान साहब का जन्मदिन गुजरा है। सलीम खान, यानी हिंदी सिनेमा का डॉयलाग लिखने वाली पहली सुपरहिट जोड़ी के एक ताकतवर नाम, जिन्होंने जावेद अख्तर के साथ मिलकर वह कारनामा कर दिखाया, जो आज सपना लगता है. वह सलमान खान, अरबाज और सोहेल के पिता हैं. हिंदी फिल्म इंस्डस्ट्री में सबसे सफल पटकथा लेखक, डायलॉग राइटर में शुमार सलीम खान का जन्म 24 नवंबर, 1935 को इंदौर में हुआ था. मुंबई आकर सलीम खान की इच्छा एक्टर बनने की थी. छोटे-मोटे किरदार के लिए उन्हें शुरुआत में 400 रुपए हर माह वेतन मिलता था. उन्होंने लगभग 14 फिल्मों में छोटे-मोटे रोल भी किए, लेकिन बात नहीं बन पाई. सलीम खान बतौर एक्टर जिन फिल्मों में नजर आए, उनमें 1966 में 'तीसरी मंजिल' और 'सरहदी लूटेरा', 1967 में 'दीवाना' और 1977 में 'वफादार' प्रमुख हैं.
सलीम खान एक्टिंग में हाथ-पैर मार रहे थे. जावेद अख्तर 'सरहदी लूटेरा' के लिए डायलॉग लिख रहे थे. यहीं दोनों की दोस्ती हुई. सलीम खान उन दिनों लेखक, निर्देशक अबरार अल्वी के सहयोगी थे, जबकि जावेद अख्तर कैफी आजमी के. सलीम और जावेद की जोड़ी ने 70 और 80 के दशक में कुल 24 फिल्मों की पटकथा लिखी, जिसमें 20 फिल्में सुपरहिट हईं. सलीम-जावेद की कहानी में राजेश खन्ना की बड़ी भूमिका है. उन्होंने फिल्म 'हाथी मेरे साथी' में दोनों को मौका दिया और वादा किया कि परदे पर लिखा होगा 'सलीम-जावेद'. सलीम-जावेद की जोड़ी यूं तो पहली बार 'अंदाज' में साथ आई, लेकिन 'हाथी मेरे साथी', 'सीता और गीता', 'यादों की बारात' ने उन्हें मुक्कमल जहान दिया. अमिताभ बच्चन को 'जंजीर', 'शोले' और 'डॉन' जैसी फिल्मों के जरिए 'एंग्री यंग मैन' बनाना भी सलीम-जावेद के कलम की ही जादूगरी थी. 1982 में फिल्म 'शक्ति' के दौरान इस दोस्ती में दरार आ गई और फिर दोनों की राहें जुदा हो गईं. दोनों के आखिरी बार 1987 में 'मिस्टर इंडिया' के लिए साथ काम किया. सलीम खान ने 1996 के बाद फिल्मों के लिए लेखन को अलविदा कह दिया. जावेद से अलग होने के बाद उन्होंने 'नाम', 'पत्थर के फूल', 'तूफान', 'मझधार' और 'दिल तेरा दीवाना' जैसी फिल्मों की कहानी लिखी, लेकिन सफल न हुए. बहरहाल तब तक इस पटकथा लेखक ने हिंदी जगत और सिनेमा को वह दे दिया था, जिसकी उसे दरकार थी. जन्मदिन की बधाई.