नई दिल्लीः वाणी प्रकाशन द्वारा आयोजित विचार श्रृंखला 'दरियागंज की किताबी शाम' की चौथी कड़ी में 'भगवा का राजनीतिक पक्ष: वाजपेयी से मोदी तक' पुस्तक पर पत्रकार सबा नक़वी से लव कनोई ने बातचीत की. यह पुस्तक सबा नक़वी की चर्चित अंग्रेज़ी पुस्तक 'शेड्स ऑफ़ सैफ़रन: वाजपेयी टू मोदी' का हिंदी अनुवाद है जिसे हाल ही में वाणी प्रकाशन ने छापा है. सबा नक़वी ने पुस्तक की रचना प्रक्रिया पर कहा कि यह किताब नहीं पत्रकारिता है. कमर्शियली यह मेरी सबसे महत्वपूर्ण किताब है. एक एजेंट ने मेरे पीछे पड़कर यह किताब लिखवा ली. फिर लिखते हुए स्मृतियों में जाते हुए मज़ा आने लगा. सबा ने कहा कि जब मैं अपनी लिखी रिपोर्ट देखती हूं तो यह तो तसल्ली होती कि मैं अच्छा लिखती हूं.  मैं  बहुत ख़ुश हूं कि यह किताब हिंदी पाठकों तक पहुंचेगी. भाषा संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि कई हिंदी मुहावरों जैसे वाजपेयी जी की ख़ूबसूरत भाषा का अनुवाद नहीं किया जा सकता. नरेंद्र मोदी की हिंदी अलग तरह की है. लव ने पूछा कि क्या इस किताब के हिंदी में आने पर धर्मनिरपेक्षता जैसे मुद्दों या देशज भाषा पर बात होगी? इस पर सबा का कहना था कि नया भारत अब इन मुद्दों और देशज शब्दों को अपनी भाषा और जीवनशैली में जगह देगा.
सबा के अनुसार आज भाजपा की प्रकृति ख़ुद को बंद कर रखने की है पर पहले ऐसा नहीं था. खुल कर बातचीत होती थी. वह एक अलग ही दौर था. मैंने जिन संपादकों के साथ काम किया उनके साथ स्वतंत्रता थी. पर अब चीज़ें बदल गईं हैं, इसलिए मैं अपनी स्तम्भकार की भूमिका में ख़ुश हूं. आज सरकार से आम जनता को सूचनाएं मिलनी बंद हो गई हैं. अभी भी पत्रकार विशेष कार्ड के साथ अंदर जा सकते हैं, पर उनसे मिलेगा कौन? भाजपा की प्रकृति पहले से बदली है. अब प्रोटोकॉल बदल गया है.  सबा ने कहा कि कांग्रेस एक कमज़ोर और संगठनात्मक रूप से बहुत दुर्बल पार्टी है. वहां परिवारवाद भी बहुल है, पर संगठन के तौर पर बहुत मज़बूत होते हुए भी भाजपा में व्यक्तिवाद आ गया है. मैं कहा करती थी कि कांग्रेस गेटकीपर की पार्टी है पर अब ऐसा ही कुछ भाजपा के साथ हो रहा. सबा के अनुसार भाजपा में भी महिलाओं की सही भागीदारी नहीं है. वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी ने कहा कि यह किताब महिमामंडन नहीं बल्कि यह एक शोधपरक किताब है, जिसमें हमने फ़ैक्ट्स और भाषा की शुद्धता पर बहुत ध्यान दिया है. कार्यक्रम में रमेश कुमार, अंकुश कुमार, संजय कबीर, हंसराज, डॉ. भारती, अरुण कुमार, हिमांशु, शालीन आदि उपस्थित थे.