मुरादाबाद: साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' की ओर से नवीन नगर स्थित 'हरसिंगार' भवन में एक श्रद्धांजलि सभा हुई, जिसमें हिंदी गीत-नवगीत के शीर्षस्थ हस्ताक्षर देवेंद्र शर्मा 'इंद्र' के निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों ने इंद्र के व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा करते हुए उन्हें सच्चा साहित्य-साधक बताया. सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने देवेंद्र शर्मा 'इंद्र' को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा, "हिंदी नवगीत का एक और महारथी चला गया. मेरा पहला संग्रह 'हरसिंगार कोई तो हो' उनकी प्रेरणा और आशीष से ही प्रकाशित हुआ था. कैसी विडंबना है कि जिनके चरण छूकर आशीष पाता रहा अब उनकी स्मृतियों को प्रणाम करना पड़ रहा है. इंद्रजी का निधन हिंदी साहित्य की बहुत बड़ी क्षति है." वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय 'अनुपम' ने कहा कि "निसंदेह इंद्रजी नवगीत के शीर्षस्थ हस्ताक्षर थे, उनके गीतों में राष्ट्र की प्राचीन संस्कृतियों के प्रति अगाध श्रद्धा और दृढ़ विश्वास के साथ-साथ जनमानस की समस्याओं के प्रति एक प्रतिबद्धता भी परिलक्षित होती है. उनके निधन से हिंदी गीत-नवगीत के क्षेत्र में एक रिक्तता आ गई है."
वरिष्ठ कवि डॉ. मक्खन मुरादाबादी ने श्रद्धांजलि वक्तव्य में कहा कि "इंद्रजी एक बड़े रचनाकार तो थे ही एक बड़े इंसान भी थे. वह हमेशा नवोदित रचनाकारों को प्रोत्साहित करते थे. उनके निधन से हम सभी ने अपना आत्मीय साहित्यिक अभिभावक खो दिया है." नवगीत कवि योगेंद्र वर्मा 'व्योम' ने कहा, "इंद्रजी का समग्र सृजन स्तुत्य है. उनके गीत सूर्योदय की तरह हैं, जिन्हें पढ़कर हमेशा एक नई ताज़गी का अनुभव होता है. उनकी कृतियां हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं." ग़ज़लकार डॉ. कृष्ण कुमार 'नाज़' ने कहा, "इंद्रजी एक बहुआयामी रचनाकार थे. उन्होंने गीत-नवगीत तो प्रचुर मात्रा में लिखे ही, साथ ही उन्होंने दोहे, ग़ज़लें और अनेक प्रबंध-काव्य भी लिखे. उनके रचनाकर्म पर अनेक शोधकार्य भी हुए." अंत में 2 मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस श्रद्धांजलि सभा में साहित्यकार अशोक विश्नोई, विवेक निर्मल, राजीव प्रखर, विशाखा तिवारी, डॉ. मनोज रस्तोगी, डॉ.पूनम बंसल आदि उपस्थित रहे. याद रहे कि हिंदी गीत और नवगीत के सशक्त हस्ताक्षर देवेंद्र शर्मा 'इंद्र' का कल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में निधन हो गया था. वह लंबे समय से बीमार थे.