आगरा: संस्कार भारती अपने साहित्यिक, सांस्कृतिक आयोजनों को छोटे कस्बों और गांवों तक ले जाने का काम कर रही है। उसके स्थानीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में भी बहुत सारे साहित्यकार और संस्कृतिकर्मी उपस्थित होते हैं. ऐसा ही एक आयोजन संस्कार भारती की बलकेश्वर शाखा ने कवयित्री नूतन अग्रवाल ज्योति के घर पर किया, जिसके तहत काव्य समारोह और सम्मान कार्यक्रम में भारी संख्या में साहित्य व कलाप्रेमी जुटे. समारोह में संस्कार भारती के अखिल भारतीय साहित्य प्रमुख व हिंदुस्तानी अकादमी प्रयागराज के नवनियुक्त सदस्य वरिष्ठ कवि राज बहादुर सिंह राज व उदयपुर से आए युवा कवि गौरव सिंघवी को उनकी रचना धर्मिता के लिए सम्मानित भी किया गया. इस अवसर पर 'प्रेम कवि' के रूप में ख्यात गौरव सिंघवी ने जब अपनी कविता सुनाई, 'लोग मोहब्बत को खुदा का दर्जा दिया करते हैं. मगर कोई करे तो उसे सजा दिया करते हैं. कहते हैं पत्थर दिल रोया नहीं करते कभी. तो झरने पहाड़ों से ही क्यों बहा करते हैं…' तो लोग वाहवाह कर उठे.
कार्यक्रम में कवि राजबहादुर राज ने 'बीत गए दिन बहार के, कैसे लिखूं गीत प्यार के…' गीत सुनाया, जिसे काफी सराहा गया. वरिष्ठ कवि राघवेंद्र शर्मा ने अपनी कविताओं से होली का रंग घोला. उन्होंने अपनी कविता पढ़ी, 'परस्पर नेह के संबंध का त्यौहार है होली, रूठा हो कोई मीत तो मनुहार है होली…' वरिष्ठ कवयित्री मधु भारद्वाज ने पढ़ा, 'फागुन दिल पर छा गया- फागुन मेरी बाहों में आ, मादक पलाश सा दहक गया. बंधन लाजों के टूट गए, मन बहक गया, तन दहक गया…' कार्यक्रम में संयोजक नूतन अग्रवाल ज्योति, वरिष्ठ कवि अनिल कुमार शर्मा, हास्य कवि हरीश अग्रवाल ढपोर शंख, कमल आशिक, अलका अग्रवाल, संगीता अग्रवाल, पूनम जाकिर, रानू बंसल, रीता शर्मा, रितु गोयल की रचनाएं भी भरपूर सराही गईं. कार्यक्रम का संचालन कुमार ललित ने किया. डॉ माधुरी यादव व इशिता अग्रवाल ने व्यवस्था संभाली. सेंट एंड्रयूज के निदेशक डॉक्टर गिरधर शर्मा व आदर्श नंदन गुप्ता की विशेष उपस्थिति रही. संस्कार भारती ने भरोसा दिलाया कि वह ऐसे और भी आयोजन करता रहेगा.