चंडीगढ़ः संवाद साहित्य मंच और माध्यम साहित्यिक संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में चंडीगढ़ में पहली बार सजी हास्य- व्यंग्य की महफिल ने खूब रंग जमाया. हिमाचल भवन में देर शाम तक चली इस संगोष्ठी में देश के जाने-माने व्यंग्यकार व व्यंग्य यात्रा के संपादक डॉ प्रेम जनमेजय ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. अपने संबोधन में डॉ प्रेम जनमेजय ने कहा कि विसंगतियों के खिलाफ लड़ने के लिए व्यंग्य सबसे कारगर हथियार है, लेकिन हमें इस हथियार का इस्तेमाल ठीक वैसे ही करना है जैसे एक सिपाही देश व नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपने हथियार का इस्तेमाल करता है. उन्होंने कहा कि समाज जब अनैतिक होता है और नैतिकता के ठेकेदार नैतिकता के छद्म में अपने अनैतिक कर्म सफल बनाते हैं, तभी तो व्यंग्यकार की रचनात्मक भूमिका जन्म लेती है. उन्होंने कहा आज राजनीति, समाज, धर्म, साहित्य आदि में जो मूल्यहीनता की स्थिति है तथा जिस प्रकार हमारी वर्तमान व्यवस्था आक्रोश के स्थान पर पलायन के भाव को भरना चाहती हैं, आर्थिक प्रगति के नाम पर विरोध के प्रजातांत्रिक अधिकार को कुंद करना चाहती है, उसके चलते व्यंग्य की भूमिका अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है. उन्होंने कहा कि व्यंग्यकार समाज की बेहतरी के लिए काम करता है ताकि समाज का चेहरा और सुंदर बने. उन्होंने कहा कि व्यंग्यकारों को व्यक्ति विशेष पर व्यंग्य करने के बजाय उसकी उस प्रवृत्ति पर व्यंग्य करना चाहिए जो समाज के लिए घातक है.
डॉ प्रेम जनमेजय ने कहा रचनाकार मानवीय मूल्यों की बात अक्सर करते हैं लेकिन उनके अपने परिवार, आस-पड़ोस व परिवेश से मूल्य गायब होते जा रहे हैं, जो चिंतनीय पक्ष है. आज के समय को संवादहीनता का समय बताते हुए उन्होंने कहा कि अब तो शादी के कार्ड तक व्हाट्सएप पर भेज कर गिला किया जाता है कि आप शादी में आए नहीं. डॉ प्रेम जनमेजय ने कहा कि 1973-74 में चंडीगढ़ में साहित्य जगत बहुत सक्रिय था और यह खुशी की बात है कि वही सक्रियता अब फिर से चंडीगढ़ के साहित्य जगत में लौट रही है. उन्होंने इस अवसर पर अपनी व्यंग्य रचना 'बर्फ का पानी' का पाठ भी किया और संगोष्ठी में व्यंग्यकारों द्वारा प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी भी की. संगोष्ठी में चंडीगढ़ के व्यंग्यकारों मदन गुप्ता सपाटू, सुभाष शर्मा, प्रेम विज, गुरमीत बेदी, जसविंदर शर्मा, दलजीत कौर व चेतन ठाकुर ने व्यंग्य पाठ किया, जबकि सुशील हसरत नरेलवी, शाम लाल मेहता 'प्रचंड', दीपक शर्मा, उर्मिला कौशिक सखी सहित कई रचनाकारों ने हास्य व्यंग्य की कविताएं प्रस्तुत कीं. इस अवसर पर कृष्ण राज शर्मा, ओपी नंदवानी, आरएस तिवारी, आरआर ठाकुर, पीयूष अवस्थी, दलबीर सिंह चहल, यू एस रावत, त्रिलोचन देव व रजनीश शर्मा सहित कई रचनाकार व व्यंग्य प्रेमी उपस्थित थे. संगोष्ठी का संचालन प्रेम विज व गुरमीत बेदी ने किया.