नई दिल्लीः केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 100 दिवसीय पठन अभियान 'पढ़े भारत' का शुभारंभ किया. यह अभियान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप चलाया गया है, जो स्थानीय/मातृभाषा/क्षेत्रीय/जनजातीय भाषा में बच्चों के लिए आयु के अनुसार पठन पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करके बच्चों के लिए आनंदपूर्वक पठन संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर देता है. अभियान की शुरुआत करते हुए मंत्री ने पढ़ाई के महत्त्व को रेखांकित किया और कहा कि बच्चों को निरंतर और आजीवन सीखते रहना चाहिए, इस तरह से उनका विकास करने की आवश्यकता है. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि पढ़ने की आदत, अगर कम उम्र में पैदा की जाती है, तो यह मस्तिष्क के विकास में मदद करती है और कल्पना शक्ति को बढ़ाती है और बच्चों के लिए अनुकूल सीखने का माहौल प्रदान करती है.
प्रधान ने जोर देकर कहा कि पढ़ना सीखने का आधार है, जो छात्रों को स्वतंत्र रूप से किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करता है, रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच, शब्दावली और मौखिक तथा लिखित दोनों में अपने विचार व्यक्त करने की क्षमता विकसित करता है. उन्होंने कहा कि यह बच्चों को उनके परिवेश और वास्तविक जीवन की स्थिति से जोड़ने में मदद करता है. उन्होंने एक सहायक वातावरण बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया जिसमें छात्र आनंद के लिए पढ़ें और अपने कौशल को एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से विकसित करें जो आनंददायक और स्थायी हो और जो जीवन भर उनके साथ रहे. प्रधान ने उन 5 पुस्तकों के नाम साझा किए जिन्हें उन्होंने पढ़ने के लिए चुना है. उन्होंने सभी को किताबें पढ़ने की आदत अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया और सभी से किताबों को साझा करने का आग्रह किया.