पटना: हर दो महीनों पर लोकभाषाओं के साहित्य पर केंद्रित आयोजन 'आखर' में इस बार भोजपुरी की बारी थी। इस बार के अतिथि भोजपुरी-हिंदी की साहित्यकार सरोज सिंह थी और उनसे बात कर रहे थे प्रखर पत्रकार निराला। ' प्रभा खेतान फाउंडेशन और मसि द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सरोज सिंह ने कहा कि 'मन के गहनतम भावों की अभिव्यक्ति के लिए मातृभाषा ही सबसे सहज होती है. मैंने अपने घर और परिवेश से भोजपुरी सीखी है, इसीलिए रचना के लिए आने वाले गहन भाव स्वाभाविक रूप से भोजपुरी में आते हैं. इसी लिए मैंने भोजपुरी को लेखन भाषा के रूप में चुना.'
एक सवाल के जवाब में सरोज सिंह ने कहा " हिंदी में भी मैं लिखती हूँ, और भोजपुरी में भी, पर भोजपुरी में लेखक-पाठक अंतःसंबंध बहुत घनिष्ठ है।" अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में सरोज सिंह ने बताया " मैंने पहली रचना कक्षा चार में बांग्ला में लिखी. अपने समाज और परिवेश से जुड़ाव मुझे भोजपुरी की ओर खींच लाया. घर और समाज से ही मुझे साहित्य के विषय और किरदार दोनों मिले. खास तौर पर विडंबना वाली चीजें मन में गहरी उतर गयीं. इसी लिए रचना भाषा के रूप में भोजपुरी सहज लगती गयी. हालांकि शहरी परिवेश की कहानियों को भोजपुरी में लिखना चुनौतीपूर्ण लगता है।'
भोजपुरी साहित्य में महिलाओं की उपस्थिति के सवाल पर उन्होंने कहा कि 'शिक्षा-सत्ता-सम्पत्ति से महिलाओं को दूर रखा गया. भोजपुरी समाज में यह समस्या ज्यादा रही. जबतक भोजपुरी साहित्य मौखिक परंपरा में था, तबतक महिलाओं का साहित्य में दखल था, लेकिन लिखित साहित्य के आगमन के बाद, व्यवस्थित शिक्षा से बाहर होने कारण महिलाएं साहित्य में पीछे छूट गयीं. स्त्री-विषयों पर स्त्रियां ज्यादा जीवंत साहित्य की रचना कर सकती हैं, क्योंकि उन्होंने इन विषयों को जिया होता है। "
अपनी आगामी योजनाओं के बारे में उन्होंने बताया कि वे फिलहाल भोजपुर क्षेत्र के व्यंजनों और खान-पान के इतिहास पर शोधपरक रचना कर रही हैं. प्रसिद्ध कथाकार ऋषिकेश सुलभ ने कहा " सरोज सिंह के पास कहानियों की नई भाषा और नया मुहावरा है. उनकी लेखनी में अपनी मातृभाषा की महक है।" भगवती प्रसाद द्विवेदी ने भोजपुरी में स्त्री लेखन के बारे में विस्तार से जानकारी दी. वहीं भैरवलाल दास ने भोजपुरी के थरुहट की समाज जो मातृसत्तात्मक समाज से संबंधित बातें रखी।
इस कार्यक्रम में पद्मश्री उषा किरण खान, शिव कुमार मिश्र, रत्नेश्वर सिंह, संजय चौधरी आदि मौजूद थे। स्वागत व धन्यवाद ज्ञापन आराधना प्रधान ने किया।