नई दिल्लीः चर्चित लेखक विष्णु खरे की हालत में कोई खास सुधार नहीं है. अभी भी वह राजधानी दिल्ली गोबिंद बल्लभ पंत अस्पताल के सघन चिकित्सा कक्ष में हैं। डॉक्टरों का एक खास दल उनकी देखरेख कर रहा है. हालांकि उन्हें देखने जाने वाले पत्रकारों, साहित्यकारों का रेला अभी थमा नहीं है पर उनकी गिनती धीरे-धीरे कम होती जा रही है. याद रहे कि इसी साल जून के आखिरी में दिल्ली की हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए खरे एक शीर्ष पत्रकार और कवि भी रहे हैं, इसलिए उनके स्वास्थ्य को लेकर अस्पताल सहित सोशल मीडिया पर लोग अपने-अपने ढंग से चिंता जाहिर कर उनके शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना कर रहे हैं. लेखक और कवि उद्भ्रांत ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि खरे जी के हाथों में कंपन होता दिख रहा था, पर आईसीयू में ज्यादा देर ठहरा नहीं जा सकता इसलिए कुछ मिनट वहां मौन खड़ा रहकर उनके शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ की कामना कर के निकल आया. विष्णु खरे के बेटे अप्रतिम ने बताया कि डॉक्टर्स थोड़े-थोड़े समय बाद जाँच कर रहे हैं, हालाँकि अभी कुछ भी कहना मुश्किल है. विष्णु खरे को यह दूसरा हृदयाघात मई में हुए पहले स्ट्रोक से बड़ा है, जिसने उन्हें एक ओर से लकवाग्रस्त कर दिया.

विष्णु खरे को 12 सितंबर रात किसी वक्त ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिसका पता सुबह तब चला,जब दूधवाला आया. पड़ोसियों के अनुसार घर का दरवाज़ा खुला हुआ था. खरे का समूचा परिवार मुंबई में रह रहा था, पर अकादमी का उपाध्यक्ष बनने के बाद वह मयूर विहार के हिंदुस्तान टाइम्स अपार्टमेंट में अकेले रह रहे थे. उन्हें ब्रेन स्ट्रोक की जानकारी दूधवाले के बाद सबसे पहले उनके पड़ोसी पत्रकार परवेज़ अहमद को हुई. वह उन्हें पास के निजी अस्पताल में लेकर गए, लेकिन खरे की हालत देखकर अस्पताल के डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए.  बाद में उन्हें जी.बी.पंत अस्पताल ले जाया गया. शुरुआती खबरों में भी सी.टी स्कैन आदि के बाद डॉक्टरों ने उनके लिए चिंता ज़ाहिर की थी, डॉक्टरों के अनुसार उन्हें लाने में विलंब हो गया है इसलिए स्थिति थोड़ी जटिल हो गई है. स्ट्रोक के छह घंटे के अंदर मरीज़ के आ जाने पर थक्के घुलाने वाली दवाएं ज़्यादा असर कर पाती हैं. कवि उद्भ्रांत, पत्रकार परवेज अहमद ने हिंदी-जगत के सभी साहित्यकारों से अपील की है कि इस अनूठे कवि के त्वरित स्वास्थ्य-लाभ के लिए अपनी शुभकामनाएं और प्रार्थनाएं करते रहें.