सागरः मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा संचालित साहित्य अकादमी द्वारा नवगठित पाठक मंच सागर की प्रथम गोष्ठी शासकीय उत्कृष्टता विद्यालय के पुस्तकालय में हुई. इस दौरान कवि विष्णु खरे की कविताओं के संकलन 'सेतु समग्र' जिसकी भूमिका मंगलेश डबराल ने लिखी है, पर चर्चा हुई. शुरुआत में लोक गायक देवी सिंह राजपूत ने सरस्वती वंदना का गायन किया. अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रसिद्ध कथाकार डॉ शरद सिंह ने कहा कि वृंदावन की विधवाएं कविता हो अथवा लालटेन जलाना कविता हो, विष्णु खरे गोया कविता की देह में कथा की आत्मा प्रवेशित कर अपनी बात कहते नजर आते हैं. उनकी कविताएं जीवन के आल्हाद के पीछे मौजूद विषाद को उजागर करती हैं, वह भी किसी पोर्ट्रेट की तरह, जिसमें विषाद के कारण हल्के-गहरे स्ट्रोक्स की तरह साथ-साथ देखे जा सकते हैं.
इस अवसर पर श्रुतिमुद्रा समिति की सचिव डॉ कविता शुक्ला ने अपने समीक्षा आलेख में कहा कि विष्णु खरे का समूचा काव्य संसार सत्य के पीछे बहुत दूर तक भटक सकने का संसार है. कवि प्रो दिनेश अत्री ने  कहा कि विष्णु खरे की कविताएं एक साथ गद्य भी, पद्य भी, वाक्य भी, पंक्ति तो हैं ही, वे कृति के साथ आलोचना का युग्म रचती कविताएं हैं. डॉ. हरीसिंह गौर विवि में हिंदी विभाग के सहा प्राध्यापक डॉ आशुतोष मिश्र ने कहा कि विष्णु खरे की कविताओं का दायरा और सरोकार वृहद है. इस अवसर पर सागर पाठक मंच की नवनियुक्त केन्द्र संयोजक देवकी नायक भट्ट ने गोष्ठी का संचालन तथा लेखक परिचय दिया. गोष्ठी के मुख्य अतिथि पाठक मंच सागर के पूर्व केंद्र संयोजक व श्यामलम् संस्था के अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र थे. संचालन भावना बड़ोन्या ने किया. गोष्ठी में प्रो सुरेश आचार्य, डॉ लक्ष्मी पांडे, डॉ वर्षा सिंह, डॉ वंदना गुप्ता, सुनीला सराफ, आशा लता जैन, नंदिनी चौधरी, आराधना खरे, डॉ अलका सिद्धार्थ शुक्ला आदि उपस्थित थे.