नई दिल्लीः भारत सरकार ने विज्ञान प्रसार ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में विज्ञान का संचार करने के लिए एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम, 'प्रोजेक्ट विज्ञान भाषा' शुरू किया है. विज्ञान प्रसार ने संस्कृत सहित उर्दू, कश्मीरी, पंजाबी, मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, बंगाली, नेपाली और असमिया में काम करना शुरू कर दिया है. यह कहना है केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह का. वे देश भर में 75 स्थानों पर हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियों के भाव और वैभव के अखिल भारतीय उत्सव कार्यक्रम 'विज्ञान सर्वत्र पूज्यते' के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी के साथ संयुक्त रूप से शामिल थे. मंत्री ने कहा कि मैं संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत इस गतिविधि को तेज करने और सभी भारतीय भाषाओं पर गतिविधियां शुरू करने का निर्देश दे चुका हूं. इस अवसर पर उन्होंने वैज्ञानिक उपकरणों के इष्टतम उपयोग के लिए सांस्कृतिक लोकाचार को आवश्यक बताया. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य विज्ञान और वैज्ञानिक सोच को आम आदमी तक ले जाना भी है, जहां वह वैज्ञानिक जानकारी और नवाचारों को आत्मसात करके लाभान्वित हो सके और इसलिए एक गहन वैज्ञानिक मस्तिष्क विकसित कर सके. डॉ सिंह ने एक एकीकृत विज्ञान मीडिया केंद्र के निर्माण की भी घोषणा की, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर हाल के विकास को आम जनता के सामने पेश करने के लिए सभी विभागों से अलग होगा. उन्होंने बताया कि विज्ञान संचार के लिए तटस्थ नोडल एजेंसी, विज्ञान प्रसार को यह प्रभार दिया गया है और वह एकीकृत मीडिया केंद्र प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल और डिजिटल मीडिया सहित सभी प्रकार के मीडिया के कार्य को पूरा करेगा.
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, 'विज्ञान सर्वत्र पूज्यते' का हमारे सांस्कृतिक लोकाचार में भारत के विज्ञान और वैज्ञानिक उपलब्धियों को शामिल करने का महान उद्देश्य है. उदाहरण के लिए यदि किसी बच्चे को अनेक एप्लीकेशंस वाला एक स्मार्ट फोन दिया जाए तो वह मासूम यह नहीं समझ पाएगा कि किस एप्लीकेशन का इस्तेमाल करना उसके लिए लाभप्रद होगा और माता-पिता के लिए हर पल उसके पास बैठकर उसको निर्देश देना संभव नहीं होगा. लेकिन अगर उसे सभ्यतागत 'संस्कार' और लोकाचार की बातें बताई गई हों तो वह स्वयं स्मार्टफोन का उपयोग करने के अपना दायरा तय करने में सक्षम होगा और उन एप्लीकेंशंस का लाभ उठाएगा जो उसे उसके स्वस्थ विकास के लिए सक्षम बना सकते हैं और वह खुद उन एप्लीकेशंस से दूर रहेगा जो उसे भटका सकते हैं. डॉ सिंह ने बताया कि भारत की वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं के साथ-साथ वैज्ञानिक मानव-शक्ति अब दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा करती है. उन्होंने कहा कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कॉरपोरेशंस एवं कंपनियां जैसे अल्फाबेट (गूगल की मूल कंपनी), माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर, एडोब, आईबीएम आदि का नेतृत्व भारतीय या भारतीय मूल के लोग कर रहे हैं, जिन्होंने हमारे अपने ही वैज्ञानिक संस्थानों में अपना बुनियादी वैज्ञानिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है. मंत्री ने कहा कि हमने मजबूत सांस्कृतिक विरासत के साथ दुनिया को सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क का तोहफा दिया है. डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि हम न सिर्फ 100 प्रतिशत साक्षरता दर प्राप्त करने बल्कि 100 प्रतिशत वैज्ञानिक साक्षरता दर हासिल करने की दिशा में काम करने के लिए बाध्य हैं. भारत सरकार प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ के विजय राघवन, सचिव विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग डॉ एस चंद्रशेखर, वैज्ञानिक सचिव, पीएसए कार्यालय डॉ परविंदर मैनी, निदेशक विज्ञान प्रसार डॉ नकुल पाराशर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे.