नई दिल्लीः राजधानी के हिंदी भवन सभागार में व्यंग्य यात्रा के बैनर तले लालित्य ललित के सद्यः प्रकाशित छह व्यंग्य संग्रह का लोकार्पण पिछले दिनों किया गया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिन्दी संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ कमल किशोर गोयनका ने की. मुख्य अतिथि के रूप में जाने-माने पत्रकार राहुल देव और विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखक मधु आचार्य आशावादी उपस्थित थे. इस मौके पर डॉ दिविक रमेश ने कहा कि ललित के व्यंग्य पहले से ज्यादा परिपक्व हुए है. उनकी समझ और सोच का विस्तार हुआ है. पर प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया जाना चाहिए, व्यक्ति पर नहीं. ललित रोज लिखते हैं और कई बार व्यक्तिपरक हो जाते हैं जिस पर उनको ध्यान देना चाहिए. नाटककार प्रताप सहगल ने कहा कि ज्यादा लिखना कई बार भयभीत भी करता है कि लेखक की रफ्तार ज्यादा क्यों है! लेकिन ललित की सोच उजली है और इनके पास विषयों का वैविध्य है, जो विषय इनसे ख़ुद अपने को लिखवा ले जाता है, इस शाब्दिक ताकत का मैं कायल हूं. डॉ. कमल किशोर गोयनका ने कहा कि किसी गुरु के लिए इससे बड़ी खुशी और क्या होगी कि उसका शिष्य उससे आगे निकल जाए. राहुल देव ने कहा कि ललित की भाषा पर पकड़ जबरदस्त है. उनके व्यंग्य गुदगुदाते हैं पर चुभते नहीं हैं. व्यंग्य चुभना चाहिए.
मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि ललित ऊर्जा से भरपूर हैं और शब्द एवं पात्र गढ़ने में माहिर हैं. उनके व्यंग्य आम आदमी की विसंगतियों पर चोट करते हैं. मॉरिशस के वरिष्ठ साहित्यकार रामदेव धुरंधर ने कहा कि यह अच्छी बात है कि ललित खूब लिख रहे हैं, पर उनसे राग दरबारी जैसे एक व्यंग्य उपन्यास की अपेक्षा है. व्यंग्यकार अरविंद तिवारी ने कहा कि युवा व्यंग्य लेखन की ओर उन्मुख हो रहे हैं, यह व्यंग्य के लिए अच्छी बात है. व्यंग्य यात्रा के संपादक प्रेम जनमेजय ने कहा कि ललित के छह व्यंग्य संग्रहों का एक साथ लोकार्पण व्यंग्य यात्रा परिवार के लिए विशेष है. इस अवसर पर पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी, डॉ. रमेश तिवारी, रणविजय राव, आशा कुंद्रा, शिखा वार्ष्णेय, बलदेव त्रिपाठी, सुभाष नीरव, राकेश कुमार, सुधांशु गुप्त, संजीव कुमार, राजेश तोमर, रेणुका अस्थाना, शशि किरण, अरविंद तिवारी, संजीव कुमार, निर्भय कुमार, राजेश्वरी मंडोरा, सोनीलक्ष्मी राव, विशाल ठाकुर सहित तमाम लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार प्रज्ञा ने किया. ललित की जिन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ वे थीं- पाण्डेय जी और फुरसत के लड्डू, लालित ललित-बेहतरीन व्यंग्य, डिजिटल इंडिया के व्यंग्य, पाण्डेय जी और जिन्दगीनामा, पाण्डेय जी की दुनिया एवं पाण्डेय जी और दिल्लगी.