रोहतकः स्थानीय आर्य समाज मानसरोवर पार्क में राष्ट्र उत्थान दिवस पर सुप्रसिद्ध गीतकार डा जयसिंह आर्य के 'एकल काव्य पाठ' का आयोजन हुआ. इस अवसर पर डा आर्य को 'आर्य रत्न' सम्मान से नवाजा गया. डा आर्य ने अपने एक घंटे के एकल काव्य पाठ में महर्षि दयानंद सरस्वती को भारत की आज़ादी का जनक बताया.  उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने ही अमर बलिदानी लाला लाजपतराय, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, प रामप्रसाद बिस्मिल जैसे योद्धा पैदा किये, जिन्होंने स्वतन्त्रता की लड़ाई में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने अमर बलिदानी भगतसिंह को भी उनकी 113वीं जयंती पर 'इंकलाब' शीर्षक से यह गीत पढ़ा-
भारत की माटी में खेला, मन में सद्भभावों का मेला/ सुख-दुख सब कुछ हंसकर झेला/ भारत के गौरव गरिमा हित मैं निशदिन जीता मरता हूं/ इंकलाब का स्वर भरता हूं, सच कहने से कब डरता हूं…
बेटियों के लिए महर्षि दयानंद, मानवता, शहीदों पर उन्होंने कई गीत पढ़े, जिनकी बानगी-
पीढियों से जो थरथराई थी, आंख भी जिसकी डबडबाई थी
पुष्प अबला के मन को हर्षाने, दिव्य ऋषिवर बहार आई थी

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चल मुसाफ़िर साथ चल चल मुसाफ़िर साथ चल
मानवता के पावन पथ पर लिए हमारा हाथ चल

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आओ भैय्या इस माटी का तिलक लगायें हम
वीर शहीदों की गाथाएं मिलकर गाएं हम

डा आर्य ने स्वतंत्रता के 73वें वर्ष में मोदी सरकार द्वारा कश्मीर की 370 धारा को हटाने का समर्थन यों किया-
 
तीन सौ सत्तर की पापी धारा को तोड़ा है
हमने बढ़कर के आतंकी सिर को फोड़ा है
केसर की क्यारी में प्रेम फूल खिलेंगे फिर
मानस-मानस में ख़ुशियों के दीप जलेंगे फिर
लाल चौक पे आज तिरंगे को फ़हरायें हम
आओ भैय्या इस माटी का तिलक लगाये हम

इस अवसर पर बड़ी संख्या में मातृ शक्ति उपस्थित थी. इस अवसर पर प्रमुख रूप से रमेश मल्होत्रा, नंद लाल गांधी, सुरेश मित्तल आर्य, दिनेश नरुला, ओमप्रकाश नासा, राजेन्द्र नासा, गुलशन शाह, सुरेश गाँधी, यशपाल भाटिया आदि उपस्थित थे.