भोपालः होली का समय हो और देश के दिल मध्यप्रदेश में फाग के रंग न बिखरें, यह हो ही नहीं सकता. स्थानीय जनजातीय संग्रहालय में गायन, वादन एवं नृत्य गतिविधियों की श्रृंखला 'उत्तराधिकार' में उज्जैन की चर्चित लोक कलाकार विद्याराव एवं साथी ने 'मालवी फाग गायन' से माहौल रंगमय कर दिया. कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक मालवी फाग गायन से हुई, जब इस गीत ने, 'सुमरू देवी शारदा, सुंड़ाला थाने ध्यांऊ….ने माहौल को धार्मिक आस्था से अभिभूत कर दिया. अगला गीत फाग पर आधारित था, जिसके बोल थे, 'नरबदा रंग से भरी, होली खेलेगा श्री भगवन…'. जाहिर है इस मालवी लोकगीत का भाव है कि भगवान श्री कृष्ण के लिए नर्मदा मैया भी पूरे रंगो से भर जाती हैं.
इसके बाद मालवी लोकधुन की मंजी कलाकार ने अयोध्या, मथुरा, काशी में स्थित भगवान की होली के गीत गाए. जिनमें 'राजा दशरथ द्वार मची रे होली….' में अयोध्या में राजा दशरथ के महल में होली के त्यौहार के उत्साहपूर्वक मनाये जाने का वर्णन था, तो 'मथुरा का भोला कान्हा, पणिलो भरना दे….' की मार्फत राधा रानी की चर्चा हुई कि कैसे राधा जब अपनी सखियों के साथ पानी भरने के लिए जाती हैं, तो कृष्ण उन्हें बार-बार पानी भरने से रोकते हैं. इस के बाद 'शिव मठ पर उड़े रे गुलाल ध्वजा….' का गायन हुआ, जिसमें होली का उत्सव भगवान शिव के मठ में मनाया जा रहा है. गजरा रे गजरा….सहित अन्य मालवी फाग गायन से श्रोता खुशी से झूम उठे. विद्याराव के गायन और निर्देशन में कोरस पर हेमलता वर्मा, कलाबाई राव, हीरामती, ढोलक पर पप्पू चौहान, हारमोनियम पर मोहन मारवाड़ी, मंजीरा पर धीरेन्द्र और विरेन्द्र राव, चंचल और शुभम ने नृत्य में सहयोग किया.