गोरखपुरः आजादी के अमृत महोत्सव के 'रंगोत्सव कार्यक्रम' के दौरान कलाकारों ने 'महाभारत द एपिक टेल' और 'कंपनी उस्ताद' की जोरदार प्रस्तुति दी. भारतेंदु नाट्य अकादमी, संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन की ओर से आयोजित रंगोत्सव में फेसेलिटी थियेटर में मुंबई से आए अभिनेता, लेखक एवं निर्देशक पुनीत इस्सर के निर्देशन में हुए इस नाटक के जरिए बताया गया कि धरती मां, हमेशा युद्ध में महाविनाश की साक्षी रही है. साउंड, प्रकाश के संयोजन, स्क्रीन पर उभरते चित्रों ने कथानक प्रस्तुत करने में प्रभावी भूमिका निभाई. छोटे पर्दे के बड़े अभिनेता गूफी पेंटर, सिद्धांत इस्सर, यशोधन राणा, दानिश अख्तर, करन शर्मा, सचिन जोशी, संजय मखीजा ने क्रमश: शकुनि, बालक दुर्योधन, भगवान कृष्ण, भीम, अर्जन, विदुर, परशुराम एवं धृतराष्ट्र के किरदार को जीवंत किया. तपस्या दास गुप्ता, हरलीन कौर रेखी, भरत शर्मा, सम्राट भल्ला, दीक्षा रैना, नयना सागर, ज्योतिका सिंघल, नीलम ने अपनी अपनी भूमिकाओं में अपनी अभिनय क्षमता का भरपूर परिचय दिया. उद्भव ओझा के कर्णप्रिय संगीत अभिकल्पना से सजी हुई प्रस्तुति गोरखपुर के रंगकर्मियों को भी सीखने के लिए काफी अवसर दिया है.
नाटक का कथानक महाभारत की कथा के किरदार दुर्योधन, कर्ण और द्रौपदी के इर्द गिर्द बुना गया है. नाटक में जहां दुर्योधन और कर्ण के बीच निःस्वार्थ व बिना शर्त दोस्ती और वफादारी दिखी, वहीं उन कारणों को भी सामने भी लाया गया, जिसके कारण उस काल में युद्ध का माहौल बना. द्रोपदी का अहंकार, शकुनि की चतुराई और दुर्योधन का हठ के नीचे सच्ची दोस्ती, बिना शर्त बलिदान और दो दोस्तों 'दुर्योधन और कर्ण' के बीच बंधुत्व की विस्मृत कथा को रेखांकित किया गया. दूसरी ओर पांडवों की दुविधा, कुंती की पीड़ा, गांधारी की लाचारी और भगवान कृष्ण का मार्गदर्शन भी अच्छे से प्रदर्शित किया गया. पटना की नाट्य प्रस्तुति 'कंपनी उस्ताद' का मंचन बेहद सफल रहा. संजय उपाध्याय के निर्देशन वाले इस नाटक में आजादी की लड़ाई को जोरदार ढंग दिखाया गया. इस नाटक में स्वरम उपाध्याय, महिमा, रागिनी कश्यप, साधना श्रीवास्तव, विवेक कुमार, धीरज कुमार व आजाद हुसैन ने अभिनय किया. दृश्य अनुरूप सुमधुर संगीत एवं प्रकाश प्रभाव से सजी प्रस्तुति को दर्शकों ने सराहा.