नई दिल्ली: प्रख्यात लेखिका ममता कालिया का कहना है कि युवा पीढ़ी को अपने वरिष्ठ रचनाकारों को पढ़कर अवश्य प्रेरणा लेनी चाहिए. उन्होंने यह बात साहित्य अकादमी द्वारा उत्तर भारत की विभिन्न भाषा के युवा लेखकों, लेखिकाओं के लिए आयोजित 'युवा लेखक सम्मिलन' के दौरान कही. उनका कहना था कि वर्तमान समय में युवा लेखकों के साथ तकनीक भी है, इसका सदुपयोग उन्हें अवश्य करना चाहिए. साहित्यिक लेखन से युवाओं को जीवन को नये तरीके से समझने का नजरिया प्राप्त होगा. उन्होंने विभिन्न भारतीय भाषाओं के बीच अनुवाद की वकालत करते हुए कहा कि हमें यह काम केवल कुछ संस्थानों पर नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि नये और युवा लेखकों को भी इस क्षेत्र में आगे आना चाहिए. आरंभिक वक्तव्य देते हुए हिंदी परामर्श मंडल के संयोजक चित्तरंजन मिश्र ने कहा कि साहित्य अकादमी युवा रचनाशीलता को सुनने, सराहने और प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने ऊर्जा से भरपूर युवा रचनाशीलता में अनंत संभावनाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्हें भारतीय साहित्य के परिदृश्य में अपनी गंभीर भूमिका का निर्वाह करना होगा. इस आयोजन में युवा रचनाकारों ने कहानी-पाठ किया. कार्यक्रम के आरंभ में प्रख्यात आलोचक डॉ. नामवर सिंह के निधन पर शोक प्रकट करते हुए एक मिनट का मौन रखकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि अच्छा लेखक बनने के लिए अच्छा पाठक भी होना ज़रूरी है. युवा लेखकों को आत्ममुग्धता से बचना होगा. उनको दिमाग और दिल यानी जीवन के यथार्थ और साहित्य के सौंदर्य दोनों का ही ध्यान रखकर लिखना होगा. समापन वक्तव्य देते हुए राजस्थानी परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ने कहा कि साहित्य हमेशा स्थायी विपक्ष का काम करता है. अतः युवाओं को अपने इस गंभीर दायित्व को ध्यान में रखते हुए सत्य की संवेदना का अन्वेषण करना चाहिए. कार्यक्रम के आरंभ में अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि साहित्य अकादेमी हमेशा ही युवा साहित्यकारों को मंच प्रदान करती रही है. आगे उन्होंने अकादमी द्वारा युवाओं के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया. सम्मिलन के पहले सत्र में अभिराज राजेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में डोगरी के सुनील कुमार, संस्कृत के बृहस्पति भट्टाचार्य, उर्दू के शादाब रशीद, राजस्थानी की सुधा सारस्वत तथा द्वितीय सत्र में संयुक्ता दासगुप्ता की अध्यक्षता में पंजाबी के परगट सिंह सतौज, अंग्रेज़ी की वाशिमा जैन और हिंदी में सिनीवालीने कहानियों का पाठ किया.