जयपुरः हमेशा परंपरागत भारतीय नारी के रूप में दिखने व कांजीवरम साड़ी पहन, माथे पर बड़ी सी बिंदी लगाने वाली पॉप सिंगर उषा उत्थुप ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में संजोय के रॉय के साथ बातचीत में अपने गायन के 50 साल के सफर के बारे में बहुत खुल कर बात की. उषा उत्थुप ने कहा कि मैं उस दौर में नाइटक्लब्स में गाती थी, जब इसे बहुत गलत माना जाता था. उस जमाने में भी कांजीवरम साड़ी में नाइटक्लब्स में गाने वाली मैं पहली और अकेली सिंगर थी. उषा उत्थुप ने कहा कि मुझे हमेशा फिल्मों में नेगेटिव किरदार निभाने वाली हीरोइन्स के गाने दिए गए, लेकिन मुझे इसकी कोई पीड़ा या दुख नहीं है, क्योंकि इन्हीं गानों ने मुझे यहां तक पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि मैंने नाइटक्लब्स से गाना शुरू किया और आज इतना लम्बा सफर तय किया तो इसका कारण सिर्फ यह है कि लोगों ने मेरी इस अजीब आवाज को भी बहुत पसंद किया.

उषा उत्थुप ने कहा कि तालियों का नशा बहुत जबर्दस्त होता है और यह नशा मुझे बहुत जल्दी लग गया था. उन्होंने कहा कि मैं एक ऐसे परिवार से आती हूं जहां सब गाते हैं. मेरे माता पिता भी बहुत अच्छे गायक थे और मेरे पिता ने मां को गा कर ही प्रपोज किया था. उन्होंने कहा कि आर. डी. बर्मन और बप्पी लहरी के साथ मैंने सबसे ज्यादा काम किया, क्योंकि वे मेरी आवाज की जरूरत को पहचानते थे और मैं कोई गलती भी करती थी तो उसे सुधारने का मौका देते थे. उन्होंने बताया कि फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा का फेमस गीत दम मारो दम पहले उन्हें ही गाना था, इसकी रिहर्सल भी उन्होंने कर ली थी, लेकिन बाद में यह गाना आशा जी ने गाया और यह बहुत खूब चला. आज भी यह गाना मेरे गाने के नाम से पहचना जाता है. इसकी मुझे खुशी है और यह साबित करता है कि गाना ही बड़ा होता है गायक नहीं. उन्होंने कहा कि अपनी आवाज के कारण ही मैं पहली महिला गायक हूं, जिसने मिथुन चक्रवर्ती के लिए गाना गाया.