पटना, 10 दिसंबर। पटना म्यूजियम में मैथिली साहित्य संस्थान और बिहार पुराविद परिषद की ओर से 'सहोदरा' कार्यक्रम में मुंशी रघुनंदन दास रचनावली का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर पदयभूषण शारदा सिन्हा का सम्मान भी किया गया। मुंशी रघुननंदन दास जिन्हें मैथिली के प्रथम काव्य का रचयिता भी माना जाता ।शोधकर्ता भैरव लाल दास ने उन रचनाओं का संग्रह कर उनकी रचनावली को अपने सम्पादकत्व में प्रकाशित करवाया है।
मुंशी रघुनंदन दास रचनावली को लेखानाथ मिश्र ने मैथिली का प्रथम महाकाव्य करार दिया। उन्होंने कहा कि भले ही एकावली परिणय का प्रकाशन पहले हुआ हो पर मुंशी रघुनंदन दास द्वारा रचित 'सुभद्रा हरण' मील का स्तम्भ है।" डॉ रमानंद झा ने भी रचन्वाली के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
इसके बाद 'बिहार का लोकगीत' विषय पर बातचीत हुई। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखिका पद्मश्री उषा किरण खान ने कहा " लोकगीत इतिहास के स्रोत होते हैं। उसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।" भोजपुरी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ चितरंजन प्रसाद सिन्हा ने कहा " बाबू कुँवर सिंह की युद्ध विवरणी लोकगीतों में मिलती है।"
चर्चित लोकगायिका शारदा सिन्हा ने बिहार की संस्कृति में लोकसंगीत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा " बिहार की लोकभाषाओं में कभी विभेद नहीं किया और मैथिली के साथ-साथ उन्होंने भोजपुरी, बज्जिका, अंगिका और मगही में भी गीत गाए। " अपने संस्मरण साझा करते हुए शारदा सिन्हा ने कहा कि " अपना पहला लोकगीत 'द्वार के छेकाई' अपनी भाभी से सीखी थी। लोकगीत की शुरुआत अपने आंगन से, भैंस पर सवार चरवाहे से, गाछी में घूमती लड़कियों से, हलवाहे व खेतों में काम करने वाले चरवाहों से सीखा। जब पहली बार मैथिली लोकगीत 'जय-जय भैरवी ' की रिकार्डिंग के लिए मुंबई गयी तो ज़हीर अहमद खान ने कहा कि इसकी रिकार्डिंग नहीं होगी मैथिली बहुत क्लिष्ट भाषा है। मैंने जवाब दिया कि आप रिकार्डिंग कीजिये यदि नुकसान होगा तो अपना जगह-जमीन बेचकर भरपाई कर दूँगी। लेकिन गीत जब हिट हुआ तो मेरी प्रतिष्ठा बढ़ गई।"
शारदा सिन्हा ने आगे कहा " मेरी बहुत इच्छा थी कि मैथिली के गीत भोजपुरी क्षेत्र में गायें जाएं और मैथिली के विद्यापति के गीतों की मिठास भोजपुरी में फैले।" शारदा सिन्हा के पति ब्रज किशोर सिन्हा ने आगे कहा " यदि एच. एम.वी कंपनी में आग न लगी होती तो बिहार के लोकगीतों का स्वरूप कुछ और अलग होता।"
भैरव लाल दास ने बिहार की लोकसंस्कृति के संरक्षण पर विशेष बल देते हुए कहा " शारदा सिन्हा के लोकगीतों की ताकत है कि छठ पर्व को अंतराष्ट्रीय सम्मान मिल गया।"
अंत में शिव कुमार मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में प्रव्मलता मिश्र 'प्रेम', मृदुला प्रकाश, विवेकानंद झा, प्रो नवल किशोर चौधरी, डॉ विजय प्रकाश, उषा झा, रघुवीर मोची, रामसेवक राय, किशोरी दास आदि मौजूद थे।
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