नई दिल्लीः केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने आजादी का महोत्सव के हिस्से के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में भारत की गुमनाम नायिकाओं पर एक सचित्र पुस्तक का विमोचन किया. पुस्तक को अमर चित्र कथा के साथ मिलकर जारी किया गया है. इस अवसर पर लेखी ने कहा कि यह पुस्तक उन कुछ महिलाओं के साहसपूर्ण जीवन का वर्णन करती है, जिन्होंने इस अभियान का नेतृत्व किया तथा पूरे देश में विरोध एवं विद्रोह की मशाल जलाई. उन्होंने कहा कि इसमें उन रानियों की कहानियां हैं, जिन्होंने साम्राज्यवादी शासन के खिलाफ संघर्ष में साम्राज्यवादी शक्तियों से संघर्ष किया और जिन महिलाओं ने मातृभूमि के लिए अपना जीवन समर्पित किया और यहां तक कि बलिदान भी दिया. उन्होंने कहा कि अगर हम भारतीय इतिहास के गौरवशाली अतीत को देखें, तो हम पाते हैं कि भारतीय संस्कृति ऐसी थी जिसने महिलाओं का सम्मान किया और लैंगिक रूप से भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं थी. यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि महिलाओं में युद्ध के मैदान में सैनिकों की तरह लड़ने का साहस और शारीरिक शक्ति थी.
पुस्तक में शामिल कुछ गुमनाम नायिकाओं की वीरता की गाथा सुनाते हुए लेखी ने कहा कि महिलाएं साम्राज्यवादी शक्तियों के खिलाफ असंतोष व्यक्त करने में समान रूप से मुखर थीं. उदाहरण के लिए रानी अब्बक्का ने कई दशकों तक पुर्तगालियों के हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया. उन्होंने कहा कि इतिहास शायद ही इस परिदृश्य में लिखा गया. इसीलिए जैसा कि प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण है, अब आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में इन गुमनाम नायकों के बलिदान को भी लोगों के सामने लाया जाएगा. लेखी ने कहा कि स्वतंत्रता का उत्सव तभी सार्थक है जब हम अपने युवाओं को अतीत से परिचित कराएं और उन्हें अपने इतिहास पर गर्व महसूस कराएं. लेखी ने बताया कि युवाओं के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि वे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को साम्राज्यवादी के बजाय भारतीय परिप्रेक्ष्य से समझें, जिसे इस पुस्तक के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है. उन्होंने अमर चित्र कथा की टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि अमर चित्र कथा ने वर्षों से बच्चों में चरित्र निर्माण और उन्हें संस्कार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.