हाजीपुर: हिंदी साहित्य के महापंडित राहुल सांकृत्यायन का जन्म 9 अप्रैल, 1893 को उनका जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के पंदहा गांव में हुआ था. उनके जन्मदिन की पूर्व संध्या पर पूर्व मध्य रेल मुख्यालय के राजभाषा विभाग ने 'साहित्यकार जयंती' के नाम से एक संगोष्ठी का आयोजन कर इस महान लेखक को याद किया. इस अवसर पर उप मुख्य राजभाषा अधिकारी दिलीप कुमार ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन का समग्र जीवन ही एक यायावर की यात्रा और एक रचनाधर्मिता की यात्रा थी. वे जहां भी गए वहां की भाषा और बोलियों को सीखा और इस तरह आम-जन के साथ घुल-मिलकर वहां की संस्कृति, समाज व साहित्य का गूढ़ अध्ययन किया. उनके पास ज्ञान का अपार भंडार था और इसी के कारण वे केदारनाथ पांडेय से महापंडित बने. उनका जीवन और अध्ययन हमें चकित करता है कि एक व्यक्ति एक जीवन में इतना कुछ कैसे कर सकता है.
इस मौके पर राजभाषा अधिकारी अशोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि घुमक्कड़ी स्वाभाव के केदारनाथ पाण्डेय 11 वर्ष की उम्र में ही राहुल बन विद्रोही हो गये. यायावरी और विद्रोह दोनों ने मिलकर राहुल सांकृत्यायन को महापंडित बनाया. बौद्ध धर्म और मा‌र्क्सवाद दोनों का मिलाजुला चिंतन उनके पास था. जिसके आधार पर उन्होंने नये भारत का स्वप्न संजोया था. घुमक्कड़ी को राहुल जी ने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वस्तु कही है. उनका मानना था कि घुमक्कड़ से बढ़कर व्यक्ति और समाज का कोई हितकारी नहीं हो सकता. इस अवसर पर विभिन्न विभाग के अधिकारी और कर्मचारीगण उपस्थित थे और कइयों ने राहुल सांकृत्यायन को अपने-अपने ढंग से याद किया. धर्मेन्द्र कुमार ने इस अवसर पर राहुल सांकृत्यायन पर स्वरचित कविता का पाठ किया. प्रमुख वक्ताओं में वीरेन्द्र सिंह, अमरनाथ सिंह, सुनिता शंख, सत्यप्रकाश आदि थे. कार्यक्रम का संचालन राजकिशोर राजन एवं धन्यवाद ज्ञापन राजभाषा अधिकारी अशोक कुमार श्रीवास्तव ने किया. सबने यह माना कि महापंडित के जीवन को एक संगोष्ठी में समेटा नहीं जा सकता.