नई दिल्ली: महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर साहित्य अकादमी ने 'गांधी दृष्टि और पर्यावरण विमर्श' नामक एक दिवसीय परिसंवाद का आयोजन किया. कार्यक्रम का उद्घाटन वक्तव्य प्रख्यात संस्कृत विद्वान एवं साहित्य अकादमी के महत्तर सदस्य सत्यव्रत शास्त्री ने दिया. प्रख्यात समाजसेवी एवं लेखक आबिद सुरती विशिष्ट अतिथि के रूप उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने की. कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने गांधी माला और पुस्तकें भेंट करके किया. उद्घाटन वक्तव्य में महाभारत, रामायण और संस्कृत के विभिन्न कालजयी ग्रंथों से उदाहरण देते हुए सत्यव्रत शास्त्री ने गांधी की पर्यावरण दृष्टि को भारतीय संस्कृति से प्रेरित बताया.
विशिष्ट अतिथि के रूप में आबिद सुरती ने कहा कि हम गांधी जी को केवल आजादी दिलाने वाले महापुरुष के रूप में ही याद करते रहे जबकि गांधी जी ने आजादी के अनेक स्तरों पर कार्य किया था जिससे हम अभी भी अंजान हैं. आबिद सुरती ने स्वयं द्वारा जल संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें कई बार अपनी बात आम जनता तक पहुंचाने के लिए लोगों की धार्मिक आस्थाओं को छूना पड़ता है. सत्र के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि गांधी जी जीवन को समग्रता में देखते थे और वे हर प्रदूषित चीज, चाहे वे विचार ही क्यों न हों, उनको शुद्ध करने पर बल देते थे. परिसंवाद की दूसरे सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात पत्रकार बनवारी ने की और सुशील त्रिवेदी, उषा उपाध्याय, शंभु जोशी और अरुण तिवारी ने अपने-अपने आलेख प्रस्तुत किए. अगले सत्र की अध्यक्षता सुपर्णा गुप्तू ने की और अज़ीज़ हाजिनी और कन्हैया त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादेमी के संपादक अनुपम तिवारी ने किया. कार्यक्रम में भारी संख्या में लेखक, छात्र एवं पत्रकार उपस्थित थे.