रोहतक: स्थानीय महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में रंग महोत्सव के तहत रंग व्यंजन कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें साहित्यकारों ने हरियाणा में साहित्य तथा साहित्यिक गतिविधियों पर मंथन किया. मदवि के अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विभाग के प्रोफेसर प्रो. जेएस हुड्डा ने इस साहित्योत्सव रंग कलम का संयोजन किया. इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक प्रो जेएस हुड्डा ने कहा कि साहित्य समाज का आईना है. आज जरूरत है कि साहित्यकारों का वृहद समाज से संवाद स्थापित हो. रंग कलम के जरिए साहित्यिक संवाद का प्रयास किया जा रहा है. मदवि कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हरियाणा में पं लखमीचंद जैसे प्रखर कवि हुए हैं, जिनकी रचनाएं कालजयी हैं. उन्होंने कहा कि जरूरत है कि समृद्ध साहित्यिक विरासत का दस्तावेजीकरण किया जाए. कुलपति ने कहा कि रंग महोत्सव के जरिए हरियाणा के साहित्य, कला तथा संस्कृति के प्रस्तुतिकरण, संरक्षण तथा प्रोत्साहन किया जा रहा है. उन्होंने विवेकानंद पुस्तकालय में लेखक का कोना स्पेस सृजित करने की बात भी कही. प्रसिद्ध उपन्यासकार भगवान दास मोरवाल ने कहा कि लेखक न केवल अपने क्षेत्र विशेष बल्कि अपनी बोली-भाषा का भी प्रतिनिधित्व करता है. उन्होंने अपने उपन्यासों काला पहाड़, रेत, हलाला आदि की चर्चा की तथा अपने क्षेत्र मेवात की विशिष्ट आंचलिक संस्कृति का उल्लेख किया.

युवा लेखक अमित ओहल्याण ने कहा कि लेखकों को पाठकों से जुडऩा होगा. मीडियाकर्मी कमलेश भारतीय ने कहा कि वैचारिक क्रांति का काम पुस्तकें करती हैं. विज्ञान फंतासी लेखक सामी अहमद खान ने कहा कि आज तकनीक सबको प्रभावित कर रही है, ऐसे में वैज्ञानिक लेखन महत्त्वपूर्ण है. पंजाबी साहित्यकार डॉ रतन सिंह ढिल्लों ने हरियाणा में पंजाबी साहित्य की स्थिति की चर्चा की. उन्होंने कहा कि पंजाबी साहित्य केवल अपने देश तक सीमित नहीं, बल्कि यूएसए, कनाडा, यूके, आस्ट्रेलिया आदि देशों में भी लोकप्रिय हो रहा है. लेखक बी.एल. गौतम ने विद्यार्थियों को साहित्यिक लेखन के साथ-साथ फिल्म, टीवी के पटकथा लेखन, आदि में कॅरियर अवसरों की चर्चा की. लेखक और संपादक डॉ पल्लव ने कहा कि पुस्तक पठन-पाठन की संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से साहित्योत्सव महत्त्वपूर्ण है. इस परिसंवाद-कार्यक्रम में शामिल लेखकों के पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी. इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. गुलशन लाल तनेजा, डीन, स्टूडेंट वेलफेयर प्रो राजकुमार, प्रो हरीश कुमार, प्रो लवलीन, प्रो माया मलिक, प्रो संजीव, प्रो मंजीत राठी, प्रो रणदीप राणा, प्रो अंजना गर्ग, डा संतराम देसवाल, प्रो आशीष दहिया, लेखक प्रदीप नील, जगबीर राठी, पंकज जैन समेत विवि के प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी उपस्थित रहे.