नई दिल्‍लीः 'जश्‍न-ए- हिंद' की ओर से आयोजित एक डिजिटल गोष्‍ठी में गजलगो एवं कवयित्री ममता किरण के गजल संग्रह 'आंगन का शजर' का लोकार्पण संपन्‍न हुआ. गोष्‍ठी की शुरुआत 'जश्‍न-ए-हिंद' की निदेशक डॉ मृदुला सतीश टंडन के स्‍वागत से हुई. उन्‍होंने ममता किरण की गजलों को अदब की दुनिया में एक शुभ संकेत बताया. समारोह में माधव कौशिक, प्रो खालिद अल्‍वी, डॉ पुष्‍पा राही, बालस्‍वरूप राही, डॉ ओम निश्‍चल, तेजेन्‍द्र शर्मा, आर बी कैले एवं शकील अहमद ने हिस्‍सा लिया. लोकार्पण एवं चर्चा का संचालन करते हुए कवि-आलोचक डॉ ओम निश्‍चल ने ममता किरण की काव्‍ययात्रा पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि ममता किरण की गजलों में एक अपनापन है, जीवन यथार्थ की बारीकियां हैं, बदलते युग के प्रतिमान एवं विसंगतियां हैं, यत्र-तत्र सुभाषित एवं सूक्‍तियां हैं, भूमंडलीकरण पर तंज है, कुदरत के साथ संगत है, बचपन है, अतीत है, आंगन है, और पग-पग पर सीखें हैं. डॉ ओम निश्‍चल ने ममता की गजल के इन शेरों का विशेष तौर से उल्‍लेख किया, जहां वे अपने बचपन को शब्दों में पिरोती हैं-

अपने बचपन का शजर याद आया
मुझको परियों का नगर याद आया

जिसकी छाया में सभी खुश थे किरण
घर के आंगन का शजर याद आया

ममता किरण ने लोकार्पण के पूर्व 'आंगन का शजर' से कुछ चुनिंदा गजलें सुनाईं-

फोन वो खुशबू कहां से ला सकेगा
वो जो आती थी तुम्‍हारी चिट्ठियों से.

मैं हकीकत हूँ कोई खवाब नहीं
इतना कहना है बस जमाने से.

खुदकुशी करने वाले नौजवानों पर ममता किरण ने ये शेर पढ़ा-

खुदकुशी करने में कोई शान है
जी के दिखला तब कहूं इंसान है

ममता किरण ने राजेंद्रनाथ रहबर व सीमाब सुल्‍तानपुरी को याद करते हुए कहा कि रहबर के सान्‍निध्‍य में कुछ दिन कठुवा में रह कर गज़ल का व्‍याकरण सीखने में सहायता मिली. यह संग्रह उसी का प्रतिफल है. प्रो खालिद अल्‍वी ने कहा कि ये गजलें ममता ने गालिब की जमीन पर कही हैं तथा उनके यहां अपनेपन संबधों एवं यथार्थ से रूबरू गजलें हैं. लंदन से कार्यक्रम में शामिल तेजेद्र शर्मा ने कहा कि ममता गजलों में एक अरसे से काम कर रही हैं तथा उनमें उत्‍तरोत्‍तर परिपक्‍वता आई है. चंडीगढ साहित्‍य अकादमी के अध्‍यक्ष एवं केंद्रिय साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि एक दौर था कि पत्र-पत्रिकाएं गजलों के न छापने का ऐलान किया करती थीं किंतु आज प्रकाशक भी इसे प्राथमिकता दे रहे हैं. उन्‍होंने ममता किरण की इन गजलों में आम जबान की अदायगी की सराहना की. डॉ पुष्‍पा राही ने कहा कि ममता किरण की इन गज़लों में ममता व आत्‍मीयता का निवास है. बाल स्‍वरूप राही ने कहा कि ममता किरण ने अपने इस संग्रह से गजल की दुनिया में एक उम्‍मीद पैदा की है. गायक एवं संगीतकार आर बी कैले और शकील अहमद ने भी ममता की कुछ गजलें गाकर महफिल को संगीतमय कर दिया.