नई दिल्ली: केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस बात पर बल दिया है कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में एक अलग बढ़त प्रदान करती है, जहां प्रौद्योगिक, आर्थिक और रणनीतिक ताकतें अक्सर हावी रहती हैं. राजधानी के भारत मंडपम में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के 14वें स्थापना दिवस समारोह में उद्घाटन भाषण में शेखावत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ये सांस्कृतिक शक्ति न केवल भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाती है, बल्कि ये इसकी सांस्कृतिक विरासत को सम्मान के साथ संरक्षित करने में भी सहायता करती है, जिससे राष्ट्र को एक नई पहचान मिलती है. इस प्रसंग में उन्होंने विरासत संरक्षण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के महत्त्व पर जोर दिया, ताकि नागरिकों के दैनिक जीवन में न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित हो सके. राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक निकाय है. शेखावत ने कहा कि पिछले 200 वर्षों से लेकर 2014 तक भारत की समृद्ध धरोहर को कमजोर करने का व्यवस्थित प्रयास किया गया. उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान भारतीयों को यह समझाने का प्रयास किया गया कि उनकी कला, संस्कृति, वास्तुकला, विज्ञान और ज्ञान पश्चिमी परंपराओं से कमतर हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, राष्ट्र के विकास और हमारी विरासत के संरक्षण दोनों को प्राथमिकता दी गई है. इसकी वजह से भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मान्यता और सम्मान मिला है.उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि राष्ट्र की प्रतिष्ठा बढ़ाने के साथ-साथ विरासत संरक्षण पर सरकार के नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के महत्त्व के प्रति लोगों की धारणा सकारात्मक रूप से बदल गई है.

समारोह के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय मंत्री के साथ राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रोफेसर किशोर के बासा, प्राधिकरण के अन्य सदस्य, संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए. इस आयोजन के दौरान राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण की वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 भी जारी की गई, जो संबंधित वर्ष के लिए प्राधिकरण की अनिवार्य गतिविधियों का व्यापक विहंगावलोकन प्रदान करती है. यह राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण द्वारा इस तरह का पहला प्रकाशन था. रिपोर्ट में बताया गया है कि आज तक राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने 55 हेरिटेज उपनियम बनाए हैं, जो संसद में 98 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों को कवर करता है. इसके अलावा, राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के आसपास निषिद्ध या विनियमित क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों के लिए अनुमति दिये जाने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में अग्रणी रहा है. शेखावत ने माना कि राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने अपने चौदह वर्षों के संचालन में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं. उन्होंने भरोसा जताया कि प्राधिकरण इन सफलताओं को और आगे बढ़ाता रहेगा, जो भारत की विरासत प्रबंधन प्रणाली को और मजबूत करेगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के प्रयासों ने एक मजबूत आधार तैयार किया है तथा निरंतर प्रगति करते हुए  यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.