नई दिल्लीः साहित्य अकादमी 29-30 दिसंबर को भारतीय साहित्य में काशी का योगदान विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन कर रही है. आभासी मंच पर आयोजित इस दो दिन की संगोष्ठी में देश के जाने-माने विद्वान सहभागिता कर रहे हैं. उक्त जानकारी देते हुए साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने बताया कि इस संगोष्ठी में काशी में रहे साहित्यकारों और काशी की विभिन्न साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं पर 27 विद्वान अपने वक्तव्य प्रस्तुत करेंगे. छह सत्रों में विभाजित इस संगोष्ठी में तुलसी, कबीर, रैदास, बल्लभाचार्य आदि के संदर्भों से संत साहित्य पर चर्चा होगी, तो भारतेंदु हरिश्चंद्र, देवकीनंदन खत्री, रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद से लेकर त्रिलोचन शास्त्री के अवदान के जरिए आधुनिक हिंदी साहित्य में काशी के योगदान को भी याद किया जाएगा.
इसके अलावा संगोष्ठी में काशी की साहित्यिक पत्रकारिता, वहां की जैन परंपरा, कला और संस्कृत आचार्यों पर भी बातचीत होगी. 29 दिसंबर को पूर्वाह्न 11 बजे उद्घाटन सत्र में साहित्य अकादमी के महत्तर सदस्य एवं पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी उद्घाटन वक्तव्य देंगे. सत्र का अध्यक्षीय वक्तव्य साहित्य अकादमी के संस्कृत परामर्श मंडल के संयोजक अभिराज राजेंद्र मिश्र प्रस्तुत करेंगे और समाहार वक्तव्य हिंदी परामर्श मंडल के संयोजक चित्तरंजन मिश्र द्वारा दिया जायेगा. कार्यक्रम के अन्य सत्रों में भाग ले रहे प्रमुख लेखक और विद्वान हैं उदय प्रताप सिंह, नंद किशोर पांडेय, वीर सागर जैन, सदाशिव द्विवेदी, एस. रंगनाथ, सूर्य प्रसाद दीक्षित, मंजुला राणा, आनंद प्रकाश त्रिपाठी, कौशलनाथ उपाध्याय, शैलेंद्र कुमार शर्मा, अष्टभुजा शुक्ल, विष्णु दत्त राकेश, रामकली सराफ, अवनिजेश अवस्थी, अनूप वशिष्ठ, अवधेश प्रधान, ज्योतिष जोशी, आशीष त्रिपाठी, व्योमेश शुक्ल, बल्देव भाई शर्मा, अनंत विजय, कुमुद शर्मा, अमरेंद्र कुमार शर्मा और रणजीत साहा आदि.