नई दिल्ली: भगवान राम को भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधि बताते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि राम के व्यक्तित्व की विशेषता यह है कि वह प्रत्येक युग के महानायक हैं. प्रभु राम द्वारा समावेशी समाज की रचना, सामाजिक समरसता और एकता का उत्कृष्ट उदाहरण है. उन्होंने कहा कि रामकथा की लोकप्रियता भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वव्यापी है. खान को अयोध्या शोध संस्थान, भारतीय जनसंचार संस्थान एवं भोजपुरी संगम के संयुक्त तत्वावधान में 'प्रवासी देशों में राम' विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो संजय द्विवेदी, लाइफ कोच एवं उत्कर्ष अकादमी कानपुर के निदेशक डॉ प्रदीप दीक्षित, भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन, मॉरीशस गणराज्य की चेयरमैन डॉ सरिता बुद्धू, अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ लवकुश द्विवेदी एवं भोजपुरी संगम के संपादक अजीत सिंह उपस्थित थे.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए केरल के राज्यपाल ने कहा कि पिछले 100 वर्षों में दुनिया ने विविधता को स्वीकार करना शुरू किया है, जबकि भारत ने ये काम 5000 वर्ष पहले ही शुरू कर दिया था. भारत की संस्कृति अपनी बुनियादी जड़ों से जुड़ी हुई है. भारत का पूरा दर्शन ही राम है. उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति जाति, धर्म और भाषा के आधार पर इंसान को नहीं देखती, बल्कि मानवता के अंदर दिव्यता के आधार पर उसे स्थान देती है. ख़ान के अनुसार पूरे विश्व के इतिहासकार ये मानते हैं कि दुनिया में 5 सभ्यताएं सबसे पुरानी हैं. इसमें ईरानी सभ्यता अपने वैभव के लिए, रोम की सभ्यता सुंदरता के लिए, चीन की सभ्यता कौशल एवं कानून के प्रति सम्मान के लिए और तुर्की की सभ्यता बहादुरी के लिए जानी जाती है, लेकिन इन सबसे अलग भारत की सभ्यता ज्ञान और प्रज्ञा के संवर्धन के लिए जानी जाती है. उन्होंने कहा कि आज राम के जीवन से प्रेरणा लेकर धार्मिक समाज बनाने की आवश्यकता है, जिसमें शक्तिशाली व्यक्ति अपना ये दायित्व समझे कि कमजोर व्यक्ति को भी सम्मान के साथ जीने का हक मिलना चाहिए.