नई दिल्लीः भारतीय भाषाओं में शिक्षा का लक्ष्य तभी पूरा होगा जब इसमें मातृभाषा की भूमिका हो. भारतीय भाषाओं में हिंदी इस लक्ष्य के करीब है. अन्य भाषाओं में भी यह लक्ष्य हासिल होना चाहिए. यह निष्कर्ष 'वन क्लास वन चैनल की पहुंच का विस्तार: सबसे दूरस्थ क्षेत्र तक गुणवत्तापूर्ण डिजिटल शिक्षा की पहुंच' विषय पर आयोजित वेबिनार के दौरान सामने आया. इस चर्चा में देश के जानेमाने शिक्षाविद शामिल हुए. वेबिनार सत्र की अध्यक्षता इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय 'इग्नू' के कुलपति प्रो नागेश्वर राव ने की. भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीआईएसए-एन के महानिदेशक टी.पी सिंह ने सह-अध्यक्षता की. सीआईईटी, एनसीईआरटी, नई दिल्ली के संयुक्त निदेशक प्रो अमरेन्द्र प्रसाद बेहरा ने चर्चा का संचालन किया. प्रो ने अध्यक्षीय संबोधन में मातृभाषा में ई-सामग्री विकसित करने के महत्त्व पर जोर दिया. बीआईएसएजी-एन के महानिदेशक टीपी सिंह ने 200 ई-विद्या डीटीएच टीवी चैनल शुरू करने के लिए आवश्यक तकनीकी तैयारियों के बारे में विवरण प्रस्तुत किया. सीआईईटी, एनसीईआरटी के संयुक्त निदेशक प्रो अमरेन्द्र पी बेहरा ने 12 ई-विद्या चैनलों की यात्रा की रूपरेखा प्रस्तुत की.


पैनलिस्टों में से एक टीएमआई के अध्यक्ष मुरलीधरन ने शिक्षार्थियों के समूह की विषमता पर चिंता व्यक्त की और समझ बढ़ाने के साथ-साथ बेहतर शिक्षण परिणामों के लिए शिक्षा शास्त्र में विभिन्न नवाचारों को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया. अमृता विश्व विद्यापीठम के कुलपति डॉ वेंकट रंगन ने ऑनलाइन प्रयोगशालाओं पर वीडियो ट्यूटोरियल के महत्त्व पर प्रकाश डाला. एडुसैट नेटवर्क के उपग्रह के माध्यम से टेली-स्कूलिंग द्वारा और तकनीकी-प्रबंधकीय पहलुओं को सैटकॉम-इसरो के एसोसिएट डायरेक्टर एसएच रायप्पा ने बताया. उन्होंने जीसैट-15 के इस्तेमाल से 200 चैनल चलाने के तरीके के बारे में भी बताया. जीसीईआरटी, गुजरात के निदेशक डॉ टीएस जोशी ने वंदे गुजरात चैनल चलाने का सफल मॉडल प्रस्तुत किया. अन्य वक्ताओं जिनमें विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के प्रमुख और प्रतिनिधि शामिल थे, ने ढांचागत सेट-अप, विभिन्न भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण ई-सामग्री का निर्माण, दिव्यांग और प्रतिभाशाली बच्चों के लिए ई-कंटेंट का निर्माण, स्वास्थ्य पर ई-सामग्री का समावेश, मनो-सामाजिक पहलू, पूर्व-व्यावसायिक और व्यावसायिक वीडियो, पहुंच को अधिकतम करने के लिए शिक्षार्थियों के बीच सेवा क्षेत्र के लिए रोजगार की भूमिकाओं सहित जागरूकता पैदा करने के लिए चैनलों की निगरानी और समर्थन के लिए नया दृष्टिकोण जैसे विषय पर अपनी बातें रखीं.जाहिर है विमर्श की भाषा अंग्रेजी में होते हुए भी वेबिनार में चिंता कोविड के बाद के परिवेश में अपनी भाषाओं में शिक्षा की थी.