संतोष अलेक्स मलयाली कवि और अनुवादक हैं। इनके द्वारा अनुदित कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, इनमें के. सचिदानंदन की मलयाली कविताओंं तथा जयंत महापात्र की अंग्रेजी कविताओं के हिंदी में अनुवाद तथा पुनाथिल कुंजब्दुल्लाह के मलयाली उपन्यास का हिंदी अनुवाद एवं एकांत श्रीवास्तव की हिंदी कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद प्रमुख हैं। भारतीय अनुवाद परिषद भी इनको सम्मानित कर चुका है। संतोष अलेक्स इस पुरस्कार को पानेवाले सबसे कम उम्र के अनुवादक हैं। जागरण हिंदी के लिए स्मिता ने उनसे खास बातचीत की। 

-आप एक साथ इतनी भाषाओं में कैसे सहजता से काम कर पाते हैं। 
 
मेरा बचपन आंध्र प्रदेश में गुजरा. सो तेलुगु भाषा सीख ली। पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से हुई। इसलिए अंग्रेजी, हिंदी एवं संस्कृत सीखा। मेरी मातृभाषा मलयालम है, लेकिन तमिल, तेलुगु, अंग्रेजी, हिंदी एवं संस्कृत भी मित्रों से सीख गया। इसके अलावा, पंजाबी, कन्नड़ एवं पंजाबी भाषाएं भी समझ लेता हूं, लेकिन इन भाषाओं को धाराप्रवाह बोल या लिख नहीं पाता।
– हिंदी के प्रति लगाव किस तरह हुआ?   

मुझे स्कूल में डॉ. मालती देवी नाम की शिक्षिका हिंदी पढ़ाती थीं। उनका पढ़ाने का ढंग इतना बढिय़ा था कि मुझे हिंदी के प्रति लगाव हो गया। कक्षा की परीक्षा में मुझे इस विषय में सबसे अधिक अंक मिलते थे। घर में भी मलयालम के साथ-साथ हिंदी बोली जाती थी।    


– अनुवाद का काम कब से शुरू किया?
मैंने अनुवाद कार्य की शुरुआत 1993 से की। अनुवाद करने की शुरुआत मैंने कहानियों से की। फिर कविताओं का भी अनुवाद करने लगा। अब तक अनुवाद के क्षेत्र में मेरे 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं। मेरे द्वारा अनूदित 21 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, जो अंग्रेजी, हिंदी एवं मलयालम तीनों भाषाओं में हैं।  

– हिंदी में कितनी किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं?
हिंदी में 'पांव तले की मिटटी' एवं 'हमारे बीच का मौन' काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुका है। केदारनाथ सिंह एवं के.सचिदानंदन की कविताओं में मानववाद तथा अनुवाद प्रक्रिया एवं व्यावहारिकता जैसी आलोचनात्मक किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। अंग्रेजी में दो अनूदित किताबें हैं। पहली एकांत श्रीवास्तव की कविताओं का अनुवाद 'शेल्टर फ्रॉम द रेन' और दूसरा 'वूमन पोएटेस ऑफ केरला'। इसमें 11 मलयालम कवयित्रयों की कविताओं का अनुवाद प्रस्तुत किया गया है।  इन दिनों मैं हिंदी भाषा पर एक किताब संपादित कर रहा हूं। यही नहीं यात्रा कविताएं भी लिख रहा हूं। यात्रा कविताएं एक ऐसी विधा है, जिस पर ज्यादा काम नहीं हुआ है।
– अच्छे अनुवादक में कौन-कौन से गुण होने चाहिए

अच्छे अनुवादक को संबंधित साहित्य ज्यादा से ज्यादा पढऩा चाहिए। इससे भाषाई विशेषताओं को समझने में आसानी होती है। साथ ही साथ उस भाषा में हो रहे बढिय़ा अनुवाद को भी लगातार पढ़ते रहें। अनुवाद करते समय यह जरूर ध्यान में रखना चाहिए कि मूल कंटेंट में कोई छेड़छाड़ न हो, उसका मतलब न बदल पाए। अनूदित सामग्री सरल व भाषा सभी के समझ में आने योग्य हो।

– दक्षिण भारत में हिंदी को कितना बढ़ावा दिया जाता है

दक्षिण भारत में हिंदी को खूब बढ़ावा दिया जाता है। दक्षिण के सभी राज्यों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। तमिलनाडु में तो दक्षिण भारत हिंदी प्रचार का मुख्यालय पूरे जोर-शोर से कार्य कर रहा है।  केरल के स्कूलों में हिंदी एक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है। कॉलेजों में द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाई जाती है। कई कॉलेजों में छात्र स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं में हिंदी सीखते हैं।   केरल में कोचिन विश्वविद्यालय, केरल विश्वविद्यालय, कालीकट विश्वविद्यालय एवं महात्मा गांधी विश्वविद्यालय में हिंदी में एम.ए, एफ फिल और पीएचडी की पढ़ाई होती है।