नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सत्तरवां जन्मदिन है. देश भर में आयोजन हो रहे हैं. उन्हें बधाई देने वालों की भी कमी नहीं, पर यह दिन भारतीय भाषाओं के भी एक खास दिन है. इसलिए भी कि साहित्य जगत ने नरेंद्र भाई मोदी से पहले अपनी भाषाओं के लिए इस तरह प्रेम करने वाला कोई दूसरा नेता नहीं देखा. पुस्तकप्रेम और लेखन के लिए अक्सर पंडित जवाहरलाल नेहरू को याद किया जाता है. इसमें कोई दो राय नहीं कि नेहरू एक बड़े स्थापित लेखक थे. पर उनका अंग्रेजी प्रेम जगजाहिर है, जबकि नरेंद्र भाई मोदी ने हर अवसर पर भारतीय भाषाओं को अपनाया और उसी में बात की. अभी नई शिक्षा नीति में भी जिस तरह उनकी सरकार भारतीय भाषाओं को महत्त्व दिया, उससे भी उनके अपनी माटी से जुड़ाव का पता चलता है.

प्रधानमंत्री मोदी भारतीय भाषाओं से अपने इस लगाव को कभी छिपाते नहीं, और अक्सर अपने भाषणों में देश की विभिन्न भाषाओं में लिखे गए साहित्य और कविताओं का उद्धरण देते रहते हैं. उनके अंदर खुद भी एक कवि मन है. गुजराती में लिखी उनकी एक कविता, 'सनातन मौसम', जिसका हिंदी अनुवाद अंजना संधीर ने किया है, इस खास अवसर पर कविता कोश के सौजन्य से.

अभी तो मुझे आश्चर्य होता है
कि कहां से फूटता है यह शब्दों का झरना
कभी अन्याय के सामने
मेरी आवाज की आंख ऊंची होती है
तो कभी शब्दों की शांत नदी
शांति से बहती है

इतने सारे शब्दों के बीच
मैं बचाता हूं अपना एकांत
तथा मौन के गर्भ में प्रवेश कर
लेता हूं आनंद किसी सनातन मौसम का.