नई दिल्ली:दैनिक जागरण की अपनी भाषा हिंदी को मजबूत और समृद्ध करने के अभियान हिंदी हैं हम के तहत आयोजित दूसरे कार्यक्रम में केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो नंदकिशोर पांडेय ने हिंदी की विकास यात्रा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने अपभ्रंश और अवहट्ट के अलावा पालि और प्राकृत भाषाओं की ऐतिहासिकता को रेखांकित किया। प्रो पांडेय के मुताबिक हिंदी में शब्दों के मानकीकरण पर बहुत काम हुआ है और आवश्यकता इस बात की है कि उन मानक शब्दों का उपयोग और चलन बढ़ाया जाए। मानक शब्दों के उपयोग को बढ़ाने के लिए हिंदी भाषियों को इस दिशा में प्रयत्न करना होगा। प्रो पांडेय ने पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में हिंदी की बढ़ी स्वीकार्यता का भी उल्लेख किया। उनके मुताबिक केंद्रीय हिंदी संस्थान ने जो अध्येता कोश तैयार किए हैं उससे भारतीय भाषाओं के बीच हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ाने में मदद मिल रही है। उनके मुताबिक केंद्रीय हिंदी संस्थान ने चालीस से अधिक भारतीय भाषाओं का अध्येता कोश तैयार किया है जो हिंदी भाषा को मजबूती प्रदान कर रहा है । प्रो नंदकिशोर पांडेय ने कहा कि अगर देश में सभी भारतीय भाषाओं का एक विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए तो भाषाओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित हो सकेगा। भाषा के आधार पर राजनीति भी बंद होगी। अगर किसी भाषा को किसी अन्य भारतीय भाषा से कोई समस्या है तो उसका हल एक ही परिसर में बैठकर निकाला जा सकता है।