विगत दिनों ब्रिटेन में कथा यू.के., वुल्फसन कॉलेज ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय और भारत के डॉ. बी. आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी साहित्य की अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। 15 और 16 नवम्बर को हुए इस दो दिवसीय आयोजन का उद्घाटन सत्र ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ़ कॉमन्स में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत मन्दाकिनी पराशर की सरस्वती वंदना से हुई। कार्यक्रम में ब्रिटेन और भारत दोनों ही जगहों से पहुंचे प्रबुद्धजनों सहित विविध शिक्षण संस्थानों के छात्रों की भी सहभागिता रही। ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के प्रो. इम्रै बंगा, डॉ. विनोद कुमार मिश्रा (विश्व हिन्दी सचिवालय, मॉरीशस के महासचिव), प्रो. प्रदीप श्रीधर (बी.आर. आम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा), वरिष्ठ लेखिका जकिया जुबैरी आदि गणमान्य लोग मंच पर उपस्थित रहे।

इस अवसर पर वुल्फसन कॉलेज के प्रेसिडेंट टिम हिचिन्स ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के लगभग हजार वर्षों के इतिहास में पहली बार हिंदी पर किसी संगोष्ठी का आयोजन हुआ है। ऑक्सफ़ोर्ड विश्विद्यालय के प्रोफेसर डॉ. इम्रै बंगा ने कहा कि यदि भारत में हिन्दी को उसका उचित स्थान नहीं दिया गया तो विश्व में उसे स्थान मिलना आसान काम नहीं है।

ब्रिटेन में हिंदी प्रवासी साहित्य (तेजेंद्र शर्मा के विशेष संदर्भ में)’ पर सत्र था। बी. आर. आम्बेडकर विश्वविद्यालय के प्रो. प्रदीप श्रीधर के नेतृत्व में भारत और मारीशस से ब्रिटेन पहुंचे प्रतिभागियों ने अपने शोधपत्रों पढ़े। इस अवसर पर ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सदस्य और लेखिका ज़किया ज़ुबैरी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के प्रचारप्रसार में तेजेंद्र शर्मा के अवदान को रेखांकित करते हुए कहा कि हाउस ऑफ़ कॉमन्स से लेकर बकिंघम पैलेस और अब ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय तक तेजेंद्र शर्मा ने हिंदी को पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। विश्व हिंदी सचिवालय के महासचिव विनोद कुमार मिश्र ने इस ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनने पर हर्ष प्रकट करते हुए उम्मीद जताई कि इस आयोजन के जरिये विश्व हिंदी सचिवालय भी अपनी परिधि का विस्तार करेगा। उन्होंने कहा कि प्रवासी साहित्य जितना समृद्ध होगा, सचिवालय उतनी ही ऊंचाइयां हासिल करेगा। कथा यू. के. महासचिव और वरिष्ठ साहित्यकार तेजेंद्र शर्मा ने ब्रिटेन में खुद को मिलेमेम्बर ऑफ़ ब्रिटिश एम्पायरसम्मान तथा ऑक्सफ़ोर्ड में हुए इस कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी चीजों से हिंदी के लिए वैश्विक तौर पर नए रास्ते खुलने की संभावना बढ़ी है।