नई दिल्लीः आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में केंद्र सरकार ने अपने ही देश में भुला बिसरा दिए गए स्वतंत्रता सेनानियों की याद का जो सिलसिला शुरू किया है, उसमें अन्य आयोजनों के साथ पुस्तक प्रकाशन भी प्रमुख है. भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने अमर चित्र कथा के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम के 75 गुमनाम नायकों पर सचित्र पुस्तकों को प्रकाशित करने का निर्णय लिया है, उनमें बिश्नी देवी शाह, सुभद्रा कुमारी चौहान, दुर्गावती देवी, सुचेता कृपलानी, अक्कम्मा चेरियन, अरुणा आसफ अली और रानी गाइदिन्ल्यू की कहानियां शामिल हैं. बिश्नी देवी शाह एक ऐसी महिला थीं, जिन्होंने उत्तराखंड में बड़ी संख्या में लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. सुभद्रा कुमारी चौहान सबसे महान हिंदी कवियों में से एक थीं, जो स्वतंत्रता आंदोलन में भी एक प्रमुख हस्ती थीं. दुर्गावती देवी वह बहादुर महिला थीं, जिन्होंने जॉन सॉन्डर्स की हत्या के बाद भगत सिंह को सुरक्षित निकलने में मदद की और उनके क्रांतिकारी दिनों के दौरान भी अनेक रूप में सहायता की.
इस पुस्तक में शामिल प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी सुचेता कृपलानी की ख्याति देशव्यापी थी. आप न केवल महात्मा गांधी की बेहद प्रिय थीं, बल्कि आपने स्वतंत्र भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की सरकार का नेतृत्व किया. पुस्तक में केरल के त्रावणकोर में स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रेरणादायक नेता अक्कम्मा चेरियन की कहानी भी शामिल है, उन्हें महात्मा गांधी द्वारा 'त्रावणकोर की झांसी की रानी' नाम दिया गया था. अरुणा आसफ अली एक प्रेरणादायक स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्हें शायद 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुंबई में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है. आंध्र प्रदेश में महिलाओं की मुक्ति के लिए एक अथक संघर्ष करने वाली कार्यकर्ता दुर्गाबाई देशमुख एक प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा की सदस्य भी थीं. नागा आध्यात्मिक और राजनीतिक नेता रानी गाइदिन्ल्यू ने मणिपुर, नागालैंड और असम में अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया.