नई दिल्‍ली: वरिष्ठ पत्रकार और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष रह चुके प्रोफेसर बल्देव भाई शर्मा की दो पुस्तकों 'सम्पादकीय विमर्श' एवं 'अखबार और विचार' का लोकार्पण और परिचर्चा इंन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में आयोजित हुई. इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार एवं इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने कहा कि देश उस दौर को कभी नहीं भूल सकता जब संविधान को ताक पर रखकर आपातकाल लगाया गया था. आज के मौजूदा दौर में वहीं लोग संविधान बचाने की दुहाई भी दे रहे हैं, जिन्होंने अपने समय में सबसे अधिक संविधान की मर्यादा को ठेस पहुंचाई. राय ने कहा कि मोदी सरकार के पहले कांग्रेस के शासन काल में किस तरह से संविधान को ताक पर रखकर काम किए जाते थे, उन बातों का जिक्र बल्देव भाई ने अपनी किताब में किया है. कांग्रेस के कार्यव्यवहार और वर्ष 2014 से पहले के राजनीतिक सफर को समझने के लिए यह पुस्तक काफी कारगर साबित होगी.
विशिष्ठ अतिथि के रूप में आध्यात्मिक गुरु एवं शिक्षाविद पवन सिन्हा ने कहा कि प्रोफेसर बल्देव भाई शर्मा द्वारा लिखित दोनों पुस्तकें समाज, राजनीति एवं पत्रकारिता के एक कालखंड का दर्पण हैं. इस पुस्तक के माध्यम से राजनीतिक गतिविधियों को समझा जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत को समझने के लिए भारतीय दृष्टि का होना जरूरी है. भारतीय दृष्टि तभी होगी जब कोई भारत को समझने के लिए भारत का भ्रमण करेगा. उन्होंने कहा कि बल्देव भाई के लेखों, किताबों एवं संपादकीय में भारतीय दृष्टि से भारत नजर आता है. इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉक्टर सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि सम्पादकीय विमर्श समाचार पत्रों से गायब हो चुका है. यहां तक कि संपादक की भूमिका खत्म हो रही है. ऐसे समय में बल्देव भाई की दोनों पुस्तकें यह बताने के लिए काफी हैं कि वर्तमान दौर में एक संपादक की भूमिका क्या होनी चाहिए. इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव, डॉक्टर रमेश चन्द्र गौड़ एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर कमल किशोर गोयनका ने भी अपने विचार रखे.