नई दिल्लीः चूरू के प्रयास संस्थान ने साल 2018 के 'रूकमणी वर्मा युवा साहित्यकार पुरस्कार' की घोषणा कर दी है. इस साल यह पुरस्कार सवाई माधोपुर जिले के गांव टोकसी में जन्मे बलराम कांवट को उपन्यास 'मोरीला' के लिए दिया जाएगा. इस उपन्यास का प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ ने किया है और यह एक प्रेम उपन्यास है.  उपन्यास के लेखक बलराम कांवट के अनुसार उनका यह उपन्यास उस लड़की के लिए है जिसने अपने शब्द खुद कहे. 

'कण-कण होग्या रंग रंगीला पग-पग याह बदड्या नीला/ थारी प्रीत सुहाणी ऐसी याह जग सारा मोरीला,' यह एक राजस्थानी लोकगीत की पंक्ति है, जिस का अर्थ है, 'धरती का कण-कण रंगीन हो गया और आकाश का चप्पा-चप्पा नीले रंग से भर गया. तेरा प्रेम ऐसा मोहक है कि सारा संसार मेरे लिए मोर-सा हो गया है'.  एक लड़के के प्रेम में मोर की मार्फत उलझी लड़की की यह कथा पढ़ने वाले को अपने प्रयोगों में फंसाती है और न पढ़ने वाले को अपने आवरण में. एक आलोचक ने लिखा 'यह कृति प्रेम के पुनर्वास का अभिनव उपक्रम है.

बलराम कांवट फोटोग्राफर हैं , और उनके उपन्यास में शब्दचित्र सजीव हो उठते हैं. उनकी उम्र अभी महज 29 साल साल है, पर पहली कृति होने के बावजूद अब उन्हें पुरस्कार भी मिलने लगे हैं. प्रयास संस्थान ने राजस्थान के 35 वर्ष से कम के युवा हिंदी लेखकों के लिए साल 2016 में 'रूकमणी वर्मा युवा साहित्यकार पुरस्कार' शुरू किया था. पहला पुरस्कार  2016 में मिहिर पंडया को उनकी कृति 'शहर और सिनेमाः वाया दिल्ली के लिए दिया गया था. दूसरा पुरस्कार साल 2017 के लिए सवाई माधोपुर के सेवा गांव में जन्में गंगा सहाय मीणा को उनकी आलोचना कृति 'आदिवासी चिंतन की भूमिका' के लिए दिया गया. कांवट को अगले माह एक समारोह में यह पुरस्कार दिया जाएगा.