नई दिल्लीः हाइकु अब केवल जापानी नहीं रह गया है. भारतीय भाषाओं और उसमें भी हिंदी के लेखकों ने उसे जिस तरह अपनाया है, उससे उसे एक नई दिशा और पहचान मिली है. यह विधा बच्चों के बीच भी लोकप्रिय हो इसके मद्देनजर प्रख्यात हाइकु लेखक व कथाकार डा जगदीश व्योम की अध्यक्षता में 14 वें हाइकु दिवस का आयोजन नई दिल्ली के कालकाजी स्थित वीर सावरकर सर्वोदय बालिका विद्यालय में किया गया. इस दौरान 'बच्चों के साथ हाइकु की बात' कार्यशाला का आयोजन भी हुआ. समारोह की संयोजिका विद्यालय प्रमुख नीलम जसरा थीं. इस आयोजन की खासियत यह थी कि इस दौरान केवल हाइकु पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी, जिसमें बच्चों के साथ ही अन्य आगंतुकों ने भी काफी रुचि दिखाई. इस अवसर पर सुरजमणि स्टेला कुजूर के प्रथम हाइकु संग्रह 'ढेंकी के बोल' का लोकार्पण भी किया गया.
समारोह के देश के कई प्रख्यात हाइकु रचनाकारों ने शिरकत की और इस विधा की विशेषताओं और रचनाकर्म की सहजता और सजगता पर प्रकाश डालते हुए अपनी-अपनी रचनाएं भी पढ़ीं. इस आयोजन के मुख्य अतिथि लेखक, गजलकार कमलेश भट्ट कमल तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ सारस्वत, ग़ज़लकार सुरेंद्र सिंघल तथा सुरजमणि स्टेला कुजूर मौजूद थे. इनके अलावा वीणा मित्तल, प्रदीप गर्ग,आर. बी. अग्रवाल, एन. के.शर्मा, डॉ. रेखा जैन तथा स्नेह सुनिता सहित साहित्य जगत के कई नाम मौजूद थे. इस अवसर पर जगदीश व्योम के मार्गदर्शन में छात्राओं के लिए एक हाइकु कार्यशाला का आयोजन भी किया गया.