नई दिल्लीः स्थानीय प्रगति मैदान में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत के सौजन्य से लगा विश्व पुस्तक मेला 2020 अब खत्म हो चुका है. यह मेला कम समय के लिए लगा था, पर पुस्तक प्रेमियों, लेखकों, प्रकाशकों, खासकर बच्चों के उत्साह के लिहाज से उल्लेखनीय रहा. नौ दिनों तक चले इस मेले में दस लाख से अधिक लोग पहुंचे. अंग्रेजी की तुलना में हिंदी के स्टालों पर भीड़ ज्यादा जुटी. इस भारी भीड़ के बीच प्रगति मैदान के विभिन्न मंडपों में कई तरह के साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए. किताबों के इस चर्चित त्यौहार का यह 28वां संस्करण था. भीड़ ने अपनी पसंद की पुस्तकों को खरीदने के लिए अपने-अपने पसंदीदा स्टालों में जम कर खरीदारी की. बच्चों के उत्साह को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आयोजक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने बच्चों के बीच किताबों की मार्फत अपनी पैठ बढ़ाई है. आख़िरी दिन पाठकों ने जम कर किताबों की ख़रीददारी की, जिनमें बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्गों की भरमार थी.
मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' सहित कई मंत्री और नेता भी प्रगति मैदान स्थित विश्व पुस्तक मेले में पहुंचे. निशंक ने विशेष रूप से डिजाइन किए गए थीम मंडप 'गांधी: लेखकों के लेखक' तथा गांधी पर आधारित पुस्तकों की प्रदर्शनी की सराहना की. पोखरियाल ने बाल मंडप, विदेशी मंडप और अन्य हॉलों में अंग्रेजी, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में प्रदर्शित पुस्तकों का अवलोकन किया. वह मेले में पुस्तक प्रेमियों के साथ बातचीत करके अत्यंत प्रसन्न दिखाई दिए और एनबीटी के इस वार्षिक प्रयास की सराहना की. आखिरी दिनों में थीम मंडप में ‘मैथिली मचान‘ और ‘राष्ट्रीय पुस्तक न्यास‘ के संयुक्त तत्वावधान में ‘मैलोरंग‘ संस्था द्वारा पद्मश्री डॉ. उषा किरण खान द्वारा रचित मैथिली नाटक ‘एक मुठिया‘ का नाट्यपाठ किया गया. इस अवसर पर उषा किरण खान के साथ मैथिली की प्रख्यात लेखिका डॉ. सविता झा खान भी उपस्थित थीं. मैलोरंग के संस्थापक प्रकाश झा व साथी कलाकार ऋषि मुकेश, ऋतु झा, ज्योति झा, राजीव रंजन, मनु कुमार, विवेक कुमार, संजीव कुमार मायानंद झा, कंचन, हर्ष और रवि ने मैथिली गीतों की संगीतमय प्रस्तुति से इस नाट्य-पाठ को जीवंत बना दिया. कुल मिलाकर पुस्तक प्रेमियों को अभी से अगले साल के मेले का इंतजार रहेगा.