वाराणसी: आचार्य विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान हिंदी के सैद्धांतिक और सर्जनात्मक आलोचक एवं भाषावैज्ञानिक प्रो. पांडेय शशिभूषण शीतांशु को उनकी कृति 'विसंरचनात्मक आलोचना : अर्थ की सर्जना' के लिए प्रदान किया गया.  प्रो. शीतांशु अमृतसर के गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से मई 2001 में सेवानिवृत्ति के पश्चात महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा में 2 वर्ष विजिटिंग प्रोफेसर रहे. उन्होंने वहीं तुलनात्मक विश्व कोश का संपादन किया. उन्हें शताधिक पीएचडी और एमफिल शोधार्थियों का निर्देशन करने का श्रेय प्राप्त है. सैद्धांतिक और सर्जनात्मक आलोचना के विभिन्न आयामों पर हिंदी में उनकी लगभग 38 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और 6 पुस्तकें अभी प्रकाशनाधीन हैं. डॉ. शीतांशु के 400 से अधिक शोध पत्र और लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं में छप चुके हैं.

 

इस अवसर पर वशिष्ठ अनूप को लोककवि सम्मान, मारुति नंदन प्रसाद तिवारी को राधिका देवी लोक कला सम्मान, कवि गीतकार ओम धीरज को श्रीकृष्ण तिवारी गीतकार सम्मान एवं जितेंद्र नाथ मिश्र को आचार्य विद्यानिवास मिश्र पत्रकारिता सम्मान प्रदान किया गया. याद रहे कि आचार्य विद्यानिवास मिश्र पुरस्कार समिति के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रताप तिवारी हैं. डॉ. गिरीश्वर मिश्र, अरुणेश नीरन, प्रकाश उदय और डॉ. दयानिधि मिश्र बतौर सदस्य शामिल हैं. यह सम्मान समारोह शिक्षा, दर्शन और समाज प्रासंगिक विमर्श के प्रमुख आयाम पर काशी विद्यापीठ के शिक्षा शास्त्र विभाग के सभागार में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं भारतीय लेखक शिविर के दौरान प्रदान किया गया. कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से आए साहित्यकार और शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर काव्य संध्या और मालिनी अवस्थी के सुरों की सरिता भी सजी. इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षा शास्त्र विभाग एवं विद्याश्री न्यास के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ.