नई दिल्लीः दैनिक जागरण हिंदी भाषा का ध्वजवाहक यों ही नहीं है. हिंदी हैं हम अभियान के तहत उसकी गतिविधियों को जिस तरह युवा पीढ़ी की सराहना मिलती है, वह बताती है कि यह अखबार हिंदी जगत का सिरमौर यों ही नहीं बन गया. जागरण संवाददाता ने अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं से बात की, तो यह बात और भी प्रमुखता से सामने आई. अब इस प्रतियोगिता की विश्वविद्यालय श्रेणी में 'मातृभाषा में शिक्षा और शोध बौद्धिक संपदा के लिए लाभदायक' विषय पर द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले बिहार के औरंगाबाद के आलोक रंजन की ही बात को लें तो उनका मानना है नियमित अखबार पढ़ने वाला अच्छा निबंध लिख सकता है. वह दैनिक जागरण के नियमित पाठक हैं और प्रतियोगिता की जानकारी उन्हें दैनिक जागरण के माध्यम से ही मिली थी. आलोक को 75 हजार रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा. उनका कहना है कि पुरस्कार की राशि से वे साहित्य से जुड़ी किताबें खरीद कर अपनी ज्ञान वृद्धि करेंगे. दैनिक जागरण अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता के विजेता आलोक अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ पत्नी को भी देते हैं.
बिहार के औरंगाबाद शहर के सत्येंद्र नगर में रहने वाले आलोक ने सरकारी विद्यालय एवं महाविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की. उनका सपना प्रोफेसर बनने का है. 2008 में औरंगाबाद शहर के राजर्षि विद्या मंदिर से मैट्रिक की परीक्षा और 2016 में सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज औरंगाबाद से हिंदी विषय़ से स्नातकोत्तर किया. फिर बीएड करने के बाद उन्होंने महाराष्ट्र के वर्धा से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई पूरी की और अब नेट की तैयारी कर रहे हैं. आलोक के पिता अखिलेश्वर सिंह सेना में थे. मां विमला देवी गृहिणी हैं. उनकी पत्नी माला कुमारी भी बीएड कर शिक्षक बनने की तैयारी कर रही हैं. आलोक ने 11 भारतीय वीरांगनाएं किताब लिखी हैं. शहीदों के सम्मान में कई कविताएं भी लिखी हैं. वह साहित्य के अलावा अन्य विषयों से जुड़ी पुस्तकें पढ़ते हैं. प्रतियोगिता के परिणाम में द्वितीय स्थान प्राप्त करने की सूचना जब आलोक को मिली तो वे खुशी से उछल उठे. उन्होंने बताया कि प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे साहित्यकारों की किताबें पढ़कर नियमित रूप से कुछ न कुछ लिखते रहते हैं. याद रहे कि दैनिक जागरण ने हिंदी है हम अभियान के तहत स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता का आयोजन कर विजेताओं को पांच लाख रुपए की पुरस्कार राशि दी है. इस आयोजन में प्रभा खेतान फाउंडेशन सहयोगी है।