नई दिल्लीः पुरानी दिल्ली की विस्मृत साहित्यिक शामों को विचारों की ऊष्मा से स्पन्दित करने के लिए वाणी प्रकाशन द्वारा चलाई जा विचार श्रृंखला 'दरियागंज की किताबी शाम' में अच्छी चर्चा हो रही है. इस श्रृंखला की पांचवीं कड़ी का विषय था 'कटिहार से केनेडी: राह जिसके मुसाफ़िर कम थे'. डॉ. संजय कुमार से बातचीत की काजल कर्ण ने. वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने वक्ताओं का परिचय दिया. फिर काजल कर्ण ने डॉ. संजय कुमार से उनकी पुस्तक 'कटिहार टू कैनेडी' किताब लिखने के पीछे प्रेरणा पर रोशनी डालने का आग्रह किया. जवाब में डॉ. संजय कुमार ने शिक्षा को ज़मीनी स्तर तक पहुँचाने के अपने प्रयासों के बारे में जानकारी दी और इस किताब का उद्देश्य बताया जो कि हाशिए पर पड़े लोगों के जीवन में बदलाव लाना है. अपनी मिट्टी से जो जज़्बा उन्होंने पाया, उसे वही प्रतिदान देना है. शिक्षा का उजाला और उसकी अहमियत हर बच्चे के जीवन तक पहुँचे यही इस किताब का उद्देश्य है.
डॉ. संजय कुमार ने कहा कि किताब को लिखने का मुख्य कारण बच्चों को प्रेरित करना है. कम संसाधनों में भी अच्छी शिक्षा मिल सकती है, इस पुस्तक में यही संदेश है. लेखक की यात्रा बिहार के 'कटिहार' ज़िले से शुरू होती है, और फिर उसमें हार्वर्ड कैनेडी स्कूल तक का सफ़र दर्शाया गया है. डॉ. संजय कुमार ने कहा कि वह महादलितों के साथ कार्य करते रहे हैं और उन्हें संगठित कर स्वावलम्बी बनाने की भी कोशिश की. लेकिन करप्शन की वजह से सफल नहीं हुए. लेखक ने म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन पर भी कटाक्ष किया है, जिसमें हर प्रकार का करप्शन है. बिहार की शिक्षा व्यवस्था वेंटिलेटर पर है. कटिहार स्कूल से हार्वर्ड कैनेडी स्कूल के सफ़र के बाद संजय कुमार ने बिहार की सरकारी व्यवस्था को सुधारने के लिए नयी योजना शुरू की है, इसी कड़ी में 'शिक्षा यात्रा' भी शुरू होने जा रही है.