लखनऊः आधुनिक हिंदी के महत्त्वपूर्ण कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र ने लिखा है, निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल. विश्व मातृभाषा दिवस के अवसर पर पूरे देश में मातृभाषा को लेकर कई आयोजन हुए. साहित्य अकादमी के देश भर में स्थित केंद्र इसमें शामिल रहे. पूर्वोत्तर के  इम्फाल में अखिल भारतीय कविता उत्सव का आयोजन किया गया, तो अकादमी द्वारा प्रधान कार्यालय नई दिल्ली सहित कोलकाता, मुंबई, बेंगलूरु तथा चेन्नई स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों में भी बहुभाषी कवि सम्मिलन का आयोजन किया गया. उधर अवधी भाषा के हिंदी साहित्य को एक योगदान को लेकर प्रतापगढ़ के मुनीश्वरदत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिंदुस्तानी अकादमी, प्रयागराज के सौजन्य से एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें अनेक विद्वानों ने अवधी के संदर्भ में अपने विचार रखे. उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि हिंदुस्तानी अकादमी के अध्यक्ष डॉक्टर उदय प्रताप सिंह थे. अध्यक्षता रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रोफेसर कपिल देव मिश्रा ने की. विशिष्ट अतिथि डॉ राजेश कुमार गर्ग और मुख्य वक्ता लेखक, संपादक राकेश पांडेय थे.
अपने वक्तव्य में  राकेश पांडेय ने कहा, मुझे गर्व है कि अवधी पूरे विश्व में हिंदी का प्रतिनिधित्व करती है. तुलसीदास की रामचरित मानस ने प्रत्येक देश में हिंदी की उपस्थिति दर्ज कराई है तो उसका माध्यम अवधी ही है. देश में गंगा-जमुनी तहजीब की बात की जाए तो भी अवधी के तुलसी और जायसी ही है. गिरमिटिया देशों में विभिन्न रूपों में विद्यमान हिंदी में भी अवधी ही है. भारतीय संस्कृति को परिभाषित करने वाली भाषा भी अवधी ही है.
प्रातकाल उठि कै रघुनाथा,
मातु पिता गुरु नावहिं माथा.
इस आयोजन में अवधी को लेकर अपने विचार रखने वालों में दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रोफेसर कैलाश नारायण त्रिपाठी, डॉक्टर दर्शन पांडे, मुंबई के डॉ करूणाशंकर उपाध्याय, वर्धा विश्वविद्यालय के डॉक्टर प्रकाश नारायण त्रिपाठी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डॉक्टर प्रभाकर सिंह चित्रकूट के प्रोफेसर कामता त्रिपाठी, पश्चिम बंगाल के डॉक्टर चक्रधर त्रिपाठी आदि शामिल थे. कार्यक्रम के संयोजन में डॉ अरुण कुमार मिश्रा व डॉ राजेश गर्ग अहम भूमिका रही. इस अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ सुनील कांत मिश्रा को विशेष रूप से सम्मानित किया गया.