नई दिल्लीः आने वाले साल का पहला महीना हिंदी के पाठकों और प्रख्यात लेखक नरेंद्र कोहली के प्रशंसकों के लिए काफी पौराणिक और धार्मिक होने वाला है. साल 2019 की शुरुआत में ही पेंग्विन पेंग्विन रैंडम हाउस इंडिया उनकी दो किताबें लेकर आ रहा है. पद्मश्री से सम्मानित हमारे दौर के सर्वाधिक चर्चित लेखकों में शुमार नरेंद्र कोहली किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. 1975 में रामकथा को समकालीन सन्दर्भों में लिखकर कोहली जी ने जो ख्याति अर्जित की वह समय के साथ वह बढती गई है. वह प्राचीन महाकाव्यों को आधुनिक गद्य के रूप में लिखने के लिए जाने जाते हैं और अब तक सौ से भी अधिक किताबें लिख चुके हैं. हिंदी साहित्य जगत में लगभग आधे दशक बाद भी उनके लेखन का कोई सानी नहीं. उनके प्रशंसक इस युग को 'कोहली युग' के नाम से भी जानते हैं.
पेंग्विन रैंडम हाउस इंडिया ये किताबें अपनी कंपनी हिंद पॉकेट बुक्स की ओर से छापेगा. इस बाबत नरेन्द्र कोहली का कहना है कि, 'पेंगुइन से सम्पर्क हुआ तो लगा कि मेरे साहित्य के आकाश पर जो नीले मेघ थे उनमें इन्द्रधनुष भी उग आया है. मेरे पंख कुछ और खुल गए हैं. मेरा आकाश कुछ और फैलकर विस्तृत हो गया है. मेरी गंगा अब गंगासागर में जा मिली है.' हिन्द पॉकेट बुक्स की एडिटर इन चीफ वैशाली माथुर ने कहा, ' नरेन्द्र कोहली जैसी सर्जक प्रतिभाओं के साथ काम करने का यह हमारे लिए महान अवसर है. उनकी कृतियों ने हिंदी साहित्य को नयापन दिया है और मुझे उनके लेखन को नए पाठकों तक पहुंचाने के इस अवसर पर गर्व है.' पेंगुइन रैंडम हाउस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नंदन झा ने कहा, ‘स्तरीय पुस्तकों तथा उपन्यासों को पेश करते हुए हिंदी साहित्य जगत को सुदृढ़ बनाना बेहद जरूरी है. समकालीन हिंदी साहित्य को नए सिरे से और मजबूती के साथ पेश करने से पाठकों की एक पूरी पीढ़ी लाभान्वित होगी और उन लेखकों को भी फायदा मिलेगा जिनके योगदान ने हिंदी साहित्य को लगातार समृद्ध बनाया है.'