ग़ाज़ियाबादः देवप्रभा प्रकाशन ग़ाज़ियाबाद ने 'बातें कुंअर की और फागुनी काव्य संध्या' का आयोजन किया तो देश भर से जुटे कवियों ने गीतकार कुंअर बेचैन के साथ जुड़े संस्मरणों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध शायर मासूम ग़ाज़ियाबादी ने की. चंपारण से पधारे गीतकार डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की.  शायर गोविंद गुलशन, डॉ तारा गुप्ता, शोभा सचान, डॉ मेजर प्राची गर्ग, दीपाली जैन 'ज़िया', दिनेश श्रीवास्तव, सूर्य प्रकाश सोनी, डॉ दिनेश कुमार, अमिताभ मासूम आदि ने अपने संस्मरण, गीतों और रचनाओं से फाल्गुन के साथ बेचैन की यादों और रचनाओं का जिक्र किया. कवि चेतन आनंद ने संचालन के साथ डॉ कुंअर बेचैन के संस्मरण और उनकी कविताएं भी साझा की.
याद रहे कि कुंअर बेचैन उन सजग रचनाकारों में हैं, जिन्होंने आधुनिक ग़ज़ल को समकालीन जामा पहनाते हुए उसे आम आदमी के दैनिक जीवन से जोड़ा था. यही कारण था कि महाकवि नीरज के बाद वे हिंदी काव्य मंच पर सराहे जाने वाले कवियों में अग्रगण्य रहे. उन्होंने अपने गीतों में भी इसी परंपरा को कायम रखा. उनके सात गीत संग्रह, बारह ग़ज़ल संग्रह, दो कविता संग्रह, एक महाकाव्य तथा एक उपन्यास काफी चर्चित रहे. कुंवर बेचैन ने 'ग़ज़ल का व्याकरण' नामक एक पुस्तक लिखी, जिसे ग़ज़ल की संरचना को समझाने वाली एक अति महत्त्वपूर्ण पुस्तक  के रूप में पहचान मिली. उन्होंने साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी तैयार की और 24 देशों के पचासों शहरों में काव्य-पाठ किया. सुकवि अमिताभ मासूम और चेतन आनंद के संयुक्त संयोजन में आयोजित यह भावपूर्ण कार्यक्रम 5 घंटे तक चला. कार्यक्रम का समापन डॉ कुंअर बेचैन के अंतिम इच्छा गीत 'सूखी मिट्टी…' से हुआ.