पटना : गांधी मैदान स्थित गांधी मूर्ति के समीप 'दूसरा शनिवार' की ओर से किसी एक कवि का  काव्य पाठ का आयोजित किया जाता है। इस बार के कवि थे  वरिष्ठ कवि आदित्य कमल। रचना के साथ आन्दोलनधर्मिता से जुड़े  आदित्य कमल  ने अपना संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा  " वे सांस्कृतिक एवं राजनैतिक संगठनों से जुड़े रहे हैं। वे बैठने की बजाय खड़े होकर पाठ करते रहे। उन्होंने खुद कहा कि इस तरह की गोष्ठी में मैं पहली बार अपनी रचनाएं सुना रहा हूं। आंदोलनों से जुड़े रहने के कारण बैठना कहां हो पाता है।

उन्होंने अपने एकलपाठ में गजलों, कविताओं एवं गीतों का पाठ किया। आदित्य कमल का  गज़ल-गीत संग्रह कठिन समय है भाई’  प्रकाशित हो चुका है। उन्होंने अपनी रचनाएं सुनाईं


अपनी बस्ती की ख़बर , देश की हालत लिखना

अबके लिखना तो ज़रा , घर की मुसीबत लिखना।

 जिनकी क़िस्मत में बदनसीबी लिख गया ये वक़्त

उन्हीं के हाथ है, इस वक़्त की क़िस्मत लिखना।

 

आदित्य कमल की रचनाओं पर टिप्पणी करते हुए  संजय कुमार कुंदन ने कहा  "आदित्य कमल की कविताओं, गजलों में यह स्पष्ट है। उनकी रचनाओं में सूक्ष्म अवलोकन है, छोटी-छोटी अनुभूतियां हैं, जो करुणा पैदा करती हैं।बातचीत को आगे बढ़ाते हुए राजकिशोर राजन ने कहा " आदित्य कमल समकालीन हैं। रचनाएं आन्दोलनकारिता के बैकग्राउंड से प्रभावित है तो नारेबाजी से भी।शहंशाह आलम ने अपनी बात जोड़ते हुए कहा " कवि किसान, मजदूर, कामगार भाइयों के बीच के हैं, यह उनकी रचनाओं से लगता है।नवीन कुमार ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा किआदित्य कमल का पाठकवर्ग तय है। उन्होंने प्रवृतियों पर सोचकर नहीं लिखा। दुनिया की गुलामी, प्रतिरोध, दुखों को जानते हैंउनसे ही संबोधित हैं।असमुरारी नंदन मिश्र ने कहा " उनकी कविताएं सहज संप्रेषणीय हैं। कविता में सहजता-सरलता विशिष्ट गुण है। "

अरविन्द कुमार वर्मा के मुताबिक " आदित्य कमल ने कहा कि जिन लोगों से संसर्ग रहा है, वे चौराहे पर रात के आठ बजे भी आते हैं तो उनके लिए भी मेरे पास गीत होते हैं।संचालन प्रत्यूष चन्द्र मिश्र ने जबकि नरेन्द्र कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। 

गोष्ठी में अनिल विभाकर, शशांक मुकुट शेखर, समीर परिमलश्याम किशोर प्रसाद, अविनाश अमन, अनीश अंकुर, सुनील कुमार त्रिपाठीराजेन्द्र प्रसाद, अरविन्द कुमार झा, अमीर हमजा, केशव कौशिक, अक्स समस्तीपुरी उपस्थित हुए।