ग़ाज़ियाबाद: देवप्रभा प्रकाशन और काव्य कॉर्नर ने कोरोनाकाल में डिजिटल गीत सम्मेलन की एक शृंखला शुरू की, जिसका पहला आयोजन बेहद सफल रहा. हिंदी के विख्यात कवि और गीतकार डॉ कुँअर बेचैन, राजेन्द्र राजन और डॉ कविता किरण ने अपने दो बहुचर्चित सिग्नेचर गीत सुनाकर खूब वाहवाही लूटी.
डॉ कुँअर बेचैन ने अपने सिग्नेचर गीतों के बारे में जानकारी देते हुए इनका सस्वर पाठ किया.
'जितनी दूर नयन से सपना,
जितनी दूर अधर से हँसना,
बिछुए जितनी दूर कुंआरे पाँव से,
उतनी दूर पिया तुम मेरे गाँव से'….
इसके बाद उन्होंने सुनाया-
'नदी बोली समंदर से मैं तेरे पास आई हूँ,
मुझे भी गा मेरे शायर मैं तेरी ही रुबाई हूँ'…
डॉ कुँअर बेचैन के इन यादगार गीतों के बाद गीतकार राजेन्द्र राजन ने 'मैं रात राज भर जगा तुम्हे भुलाने के लिए, मैं पात पात झर गया बसंत लाने के लिए'…गाया और इसके बाद यह गीत सुनाया-
'केवल दो गीत लिखे मैंने.
इक गीत तुम्हारे मिलने का
इक गीत तुम्हारे खोने का.
सड़कों-सड़कों, शहरों-शहरों
नदियों-नदियों, लहरों-लहरों,
विश्वास किये जो टूट गए,
कितने ही साथी छूट गए,
पर्वत रोये-सागर रोये,
नयनों ने भी मोती खोये,
सौगन्ध गुंथी सी अलकों में,
गंगा-जमुना सी पलकों में,
केवल दो स्वप्न बुने मैंने,
इक स्वप्न तुम्हारे जगने का,
इक स्वप्न तुम्हारे सोने का' समां बांध दिया.
कवयित्री डॉ. कविता किरण ने 'अभी अभी जो खेलके आयी हाथी, घोड़ा, पालकी, अब भी मेरे अंदर है वो लड़की सोलह साल की.' के अलावा वृद्धाश्रम नहीं होता गीत सुनाया. इस गीत सम्मेलन का संचालन देवप्रभा प्रकाशन के कवि डॉ चेतन आनंद ने किया. उन्होंने बताया कि डिजिटल गीत सम्मेलन का यह आयोजन जारी रहेगा.