प्रो बद्रीनारायण ने कोविड-19 के दौर में सबसे निचले तबके के लोगों की व्यथा पर भी विस्तृत चर्चा की तथा कहा कि हमें अपने गांवों को समझना होगा, कि वे इस बायो-पॉलिटिक्स के साथ आने वाली आर्थिक मार को कैसे झेलेंगे? इसी क्रम में राजस्थानी लोकसाहित्य के सुप्रसिद्ध लेखक विजयदान देथा के संस्मरणों को लेखक मालचंद्र तिवाड़ी ने याद किया. विजयदान देथा, जिन्हें बिज्जी के नाम से भी जाना था के राजस्थानी साहित्य का अनुवाद मालचंद्र तिवाड़ी ने हिन्दी में किया है. इसी सिलसिले में उन्होंने बिज्जी के साथ लगभग एक साल का समय उनके घर पर बिताया, जिसे उन्होंने ‘बोरूंदा डायरी’ नाम से दर्ज किया है. मालचंद तिवाड़ी ने बताया कि विजयदान देथा हमेशा अपने पास रविन्द्रनाथ ठाकुर और प्रेमचंद की किताबों के उद्धरण एक कॉपी में नोट करके रखते थे. वे अपने काम के प्रति बहुत ज्यादा समर्पित एवं सजग रहते थे.
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