जयपुर: राजस्थानी विश्व की एक समृद्ध भाषा है. वर्तमान में इसके विकास और संवर्धन के लिए जन  चेतना की महती आवश्यकता है. यह कहना है राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गोपाल कृष्ण व्यास का. वे साहित्य अकादमी नई दिल्ली और मरूदेश संस्थान, सुजानगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में चूरू जिले के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय, भींवसर में आयोजित ग्राम लोक और कन्हैया लाल सेठिया राजस्थानी भाषा सेवा सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. व्यास ने आगे कहा कि राजस्थानी भाषा, कला, साहित्य व संस्कृति का व्यापक ज्ञान नहीं होने से हम विरह के गीतों पर रोने के बजाय नाचने लगते हैं और फूहड़ गीतों को अच्छा मानते हैं. जबकि ऐसा करना गलत है. उन्होंने गीत तालरियां मालरियां रे मोरू बाई लारै रियां… सहित अनेक लोक गीतों का उदाहरण देते हुए उपस्थिति लोगों से राजस्थानी में अधिक से अधिक बातचीत करने का आह्वान किया.
न्यायमूर्ति व्यास ने मरूदेश संस्थान की प्रशंसा करते हुए कहा कि कन्हैया लाल सेठिया तो राजस्थान और राजस्थानी का गौरव हैं. उन्होंने दार्शनिक रूप से भगवान की व्याख्या की और लोगों की मांग पर राजस्थान की विभिन्न बोलियों और लहजे में कुरजां गीत  गाकर सुनाया. अंत में उन्होंने 'केसरिया बालम आओ नी…' भी सुनाया. कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य अकादमी दिल्ली के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य आशावादी ने की. उन्होंने सेठिया को याद करते हुए अकादमी द्वारा राजस्थानी भाषा और साहित्य के लिए किए जा रहे कार्यों की चर्चा की और ग्राम लोक के इस आयोजन को ग्रामीण अंचलों में राजस्थानी भाषा और साहित्य के प्रचार प्रसार की अभिनव पहल बताया.  इस अवसर पर वर्ष 2021 का कन्हैया लाल सेठिया राजस्थानी भाषा सेवा सम्मान अमी संस्थान उदयपुर के अध्यक्ष डॉ. शिवदान सिंह राणावत जोलावास को प्रदान किया गया. कार्यक्रम में कवयित्री तनुजा व्यास, चूरु के अतिरिक्त जिला कलक्टर डॉ नरेंद्र कुमार चौधरी, उप खंड अधिकारी मूलचंद लूणिया, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जगदीश बोहरा, उप पुलिस अधीक्षक राम प्रताप बिश्नोई, जिला शिक्षा अधिकारी निसार अहमद खान, सरपंच प्रियंका मेघवाल सहित अन्य गणमान्य जन भी उपस्थित थे.